श्रीनगर ।। लगातार हो रही बारिश और सर्द मौसम के बीच कश्मीरी लोग ईद-उल-जुहा की तैयारियों में जुट गए हैं। सोमवार को ईद-उल-जुहा का पर्व मनाया जाएगा। इस अवसर पर बलि देने के लिए पशुओं की खरीददारी, नए कपड़े, खाने-पीने के लजीज व्यंजनों और पटाखों की खरीददारी जारी है।

जम्मू एवं कश्मीर की राजधानी श्रीनगर की ज्यादातर सड़कों पर यातायात जाम है, ज्यादातर लोग खरीददारी के लिए सुबह से ही अपने घरों से निकल पड़े हैं।

ऊनी कपड़ों, मुर्गे, अंडे, मांस व अन्य वस्त्रों की दुकानें ज्यादा दिख रही हैं। ईद का जश्न मनाने के लिए बच्चे पटाखे खरीद रहे हैं।

बलि के पशुओं का मुख्य बाजार पुराने शहर के ईदगाह मैदान में लगा है, जहां भेड़ों और बकरों के झुंड हैं और खरीददार विक्रेताओं से मोलभाव कर रहे हैं। इस पर्व को बकर-ईद भी कहा जाता है।

पशु बाजार में पहुंचे 45 वर्षीय अब्दुल माजिद बताते हैं, “ये लोग हमसे बहुत ज्यादा पैसा ले रहे हैं, जानवरों के दामों पर कोई आधिकारिक नियंत्रण नहीं है। मैंने दो भेड़ों के लिए 10,000 रुपये दिए हैं लेकिन मुझे पता है कि आम दिनों में इनकी कीमत 7,000 रुपये से ज्यादा नहीं होगी।”

लोगों ने बताया कि गुरुवार को तो इस बाजार में एक भेड़ एक लाख रुपये से ज्यादा कीमत में बिकी थी।

इरफान अहमद कहते हैं, “बलि देने के लिए खरीदे जाने वाले पशु के लिए मोलभाव करना शर्मनाक है। कुछ विक्रेता अपने पशुओं को उनके वजन के हिसाब से कीमत लेकर बेच रहे हैं। प्रति किलोग्राम पर 180 रुपये लिए जा रहे हैं लेकिन ज्यादातर विक्रेता बिना वजन किए बेच रहे हैं।”

इस साल बलि के लिए बेचने को लाए गए पशुओं में ऊंट भी शामिल हैं। इन्हें घाटी के बाहर से लाया गया है।

अल्लाह के पैगम्बर इब्राहिम से अपने बेटे की बलि देने के लिए कहने की ऐतिहासिक घटना की याद में ईद-उल-जुहा के अवसर पर पशुओं की बलि दी जाती है। ऐसा कहा जाता है कि जब इब्राहिम अपनी आंखों पर पट्टी बांधकर अपने बेटे की बलि देने लगे तो अल्लाह ने उसके स्थान पर एक भेड़ को आने के लिए कहा था।

अल्लाह के इस्माइल की जिंदगी बचाने से इब्राहिम के घर में खुशियां आ गई थीं, इसीलिए मुस्लिम ईद-उल-जुहा मनाते हैं।

Rate this post

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here