नई दिल्ली ।। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने राष्ट्रीय राजधानी में अपना 84वां जन्मदिन मनाने के लिए मंगलवार को अपनी देशव्यापी जनचेतना यात्रा को विराम दिया। बधाई देते हुए पार्टी नेता राजनाथ सिंह ने जब उन्हें प्रधानमंत्री पद के लिए पार्टी की ‘स्वाभाविक पसंद’ बताया तो वह भावुक हो गए।

पृथ्वीराज रोड स्थित आडवाणी के आवास पर आयोजित कार्यक्रम में वरिष्ठ नेताओं ने जब भाजपा के लिए उनके योगदान को याद किया तो वह आंसू पोंछते नजर आए। इस अवसर पर एक पुस्तक ‘आडवाणी : मैन एंड हिज थाउट्स’ का लोकार्पण किया गया।

पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने कहा कि आडवाणी प्रधानमंत्री पद के लिए पार्टी की ‘स्वाभाविक पसंद’ हैं।

कार्यक्रम में सुषमा स्वराज, अरुण जेटली, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ एवं झारखण्ड के मुख्यमंत्री सहित भाजपा के कई नेताओं ने भाग लिया।

उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि उन्हें यह खबर देखकर दुख हुआ कि आडवाणी भी प्रधानमंत्री पद के दावेदारों की दौड़ में हैं।

उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री पद के दावेदारों में किसी का व्यक्तित्व का क्या आडवाणी जैसा है? वह उस पद के लिए स्वाभाविक पसंद हैं।” राजनाथ का इशारा शायद अपने सहयोगी जेटली, सुषमा स्वराज एवं गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर था।

राजनाथ ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने 2009 के लोकसभा चुनाव से पूर्व उनसे कहा था कि यदि भाजपा की ओर से किसी को प्रधानमंत्री पद के लिए प्रायोजित किया जाए तो वह आडवाणी हों।

आडवाणी ने कहा कि अपनी प्रशंसा सुनकर उनकी आखें भर आईं।

इससे पहले अपने समर्थकों को सम्बोधित करते हुए आडवाणी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के साथ लम्बे अरसे तक अपने जुड़ाव को याद किया और इस संगठन को अपना ‘वैचारिक परिवार’ बताया।

उन्होंने कहा कि वह 14 वर्ष की उम्र में ही स्वयंसेवक बन गए थे और इसे अपना ‘सौभाग्य’ समझते हैं क्योंकि इसी कारण उन्हें दो परिवार मिले- एक वैचारिक परिवार तथा दूसरा उनका व्यक्तिगत परिवार।

भाजपा नेता ने कहा कि परिवार संस्था पर जोर दिए जाने के कारण ही देश का सामाजिक आधार मजबूत है। ऐसा न होने के कारण पश्चिमी देशों में सामाजिक विघटन की समस्या पैदा हो गई।

आडवाणी ने कहा, “मैं महसूस करता हूं कि भारत के पास जो शक्ति है वह उसके सामाजिक दृष्टिकोण और परिवार संस्था के कारण।”

आडवाणी का जन्म 8 नवंबर, 1927 को हुआ था और वह भारत विभाजन के पूर्व सिंध में पले-बढ़े।

उल्लेखनीय है कि उनकी यात्रा बुधवार को राजस्थान के जोधपुर से प्रस्थान करेगी और इसका समापन 20 नवंबर को दिल्ली में होगा।

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