नई दिल्ली ।। केंद्रीय संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री कपिल सिब्बल ने मंगलवार को कहा कि सरकार सोशल नेटवर्किंग साइटों पर ‘आपत्तिजनक’ सामग्रियों की पहचान कर उसे हटाएगी।

सिब्बल का यह बयान फेसबुक के अधिकारियों से मुलाकात के बाद आया है, जिसमें फेसबुक के अधिकारियों ने अपमानजनक सामग्रियों को हटाने से इंकार कर दिया था।

यहां संवाददाताओं से बातचीत में सिब्बल ने कहा, “साइट पर डाली जाने वाली आपत्तिजनक सामग्रियों के कारण विभिन्न समुदायों की धार्मिक भावना तथा गणमान्य लोगों के सम्मान को ठेस पहुंच रही है।”

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि फेसबुक, ट्विटर तथा ऑरकुट के अधिकारियों से उन्होंने पहली बार पांच सितम्बर को मुलाकात की थी। उन्होंने अधिकारियों को साइट पर इसके इस्तेमाल कर्ताओं द्वारा आपत्तिजनक सामग्री डाले जाने को लेकर सरकार की चिंताओं से अवगत कराया था।

सोशल नेटवर्किं ग साइट के अधिकारियों को वह तस्वीर दिखाई गई, जिसमें कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को गलत ढंग से दिखाया गया है, जबकि कुछ अन्य तस्वीरों से धार्मिक भावना आहत होती है।

सिब्बल ने कहा, “किसी भी सार्वजनिक व्यक्ति की व्यंग्यात्मक तस्वीर का कोई बुरा नहीं मानता, लेकिन यदि आप मुझे एक निश्चित रूप में दिखाएंगे तो यह स्वीकार नहीं है। अन्य लोगों की भी रक्षा की जानी चाहिए।”

उन्होंने कहा कि ये कम्पनियां आतंकवादी गतिविधियां साझा करने के लिए भी तैयार नहीं हैं। सिब्बल के अनुसार, “उन्हें हमें आंकड़े देने होंगे। इसके बाद हम कदम उठाएंगे। हम उनसे सूचना देने के लिए कहेंगे। इससे निपटने के लिए हमें समय दें। लेकिन एक चीज साफ है कि हम इस तरह की सामग्रियों की अनुमति नहीं देंगे।”

सिब्बल ने हालांकि यह नहीं कहा कि सरकार इस दिशा में क्या कदम उठा सकती है। केंद्रीय संचार विभाग के सचिव आर. चंद्रशेखर ने भी 19 अक्टूबर को इन कम्पनियों के अधिकारियों के साथ बैठक की थी और यह निर्णय लिया गया था कि इस तरह की सामग्रियों को लेकर आचार संहिता बनाई जाएगी। लेकिन वे मौखिक रूप से कई धाराओं पर सहमत हुए, पर लिखित जवाब में उन्होंने किसी भी धारा से सहमति नहीं जताई।

कई बैठकों के बाद भी इन कम्पनियों ने समस्या का समाधन मुहैया नहीं कराया और न ही ये सामग्रियां हटाईं, बल्कि कहती रहीं कि वे तभी कोई कदम उठाएंगी जब मंत्रालय अदालत का आदेश लेकर आए।

सिब्बल ने कहा, “केंद्रीय दूरसंचार विभाग के सचिव चंद्रशेखर ने भी 19 अक्टूबर को इन कम्पनियों के अधिकारियों के साथ बैठक की थी, जिसमें यह निर्णय लिया गया था कि इस तरह की सामग्रियों को लेकर आचार संहिता बनाई जाएगी। वे मौखिक रूप से कई धाराओं पर सहमत हुए, लेकिन लिखित जवाब में उन्होंने किसी भी धारा से सहमति नहीं जताई।”

सिब्बल ने कहा कि वे इस मुद्दे को मीडिया में नहीं लाना चाहते थे, लेकिन ‘न्यूयार्क टाइम्स’ में ऐसी साइट पर प्रतिबंध लगाने की कोशिश सम्बंधी रिपोर्ट के छपने के बाद इसे प्रकाश में लाना पड़ा।

उन्होंने कहा, “यह सच से काफी दूर है। यदि कोई इस तरह की भड़काऊ सामग्री को हटाना नहीं चाहता है तो सरकार को कुछ करना होगा।”

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