नई दिल्ली ।। खुदरा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की अनुमति के केंद्र सरकार के फैसले के विरोध में विभिन्न संगठनों के गुरुवार को बंद के आह्वान का देश के ज्यादातर हिस्सों में व्यापक असर रहा लेकिन राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में इसका खास असर नहीं देखा गया। 

बंद के जरिए कांग्रेस नेतृत्व वाली केंद्र की संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के एकल ब्रांड खुदरा क्षेत्र में 100 प्रतिशत एफडीआई और बहु ब्रांड खुदरा क्षेत्र में 51 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति देने के फैसले का विरोध किया जा रहा है।

दिल्ली में कुछ संगठनों ने खुद को इस बंद से दूर ही रखा। यहां करोल बाग, सदर बाजार, कमला नगर, चावड़ी बाजार, कश्मीरी गेट, तिलक नगर, रोहिणी, कृष्णा नगर व ग्रेटर कैलाश एम ब्लॉक के बाजार तो बंद रहे लेकिन सरोजिनी नगर व आईएनए बाजार प्रभावित नहीं हुए। कुछ स्थानों पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) कार्यकर्ताओं ने बंद के समर्थन में रैलियां निकालीं और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह व दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के पुतले फूंके।

मुम्बई के एक लाख से ज्यादा थोक विक्रेता, खुदरा व्यवसायी व छोटे व्यवसायी बंद में शामिल हुए। महाराष्ट्र के ठाणे, पुणे, औरंगाबाद, नासिक, नागपुर व अन्य बड़े शहरों में भी खुदरा व्यवसायियों ने अपनी दुकानें व व्यवसायिक प्रतिष्ठान नहीं खोले

हिमाचल प्रदेश में दुकानें व व्यवसायिक प्रतिष्ठान बंद रहे। राज्य में सत्तारूढ़ भाजपा व मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के कार्यकर्ताओं व व्यापारियों ने बंद का समर्थन किया। शिमला में 6,000 से ज्यादा दुकानदारों ने दुकानें बंद रखीं।

बंद के समर्थन में लखनऊ में प्रदर्शन कर रहे समाजवादी पार्टी (सपा) के कार्यकर्ताओं की पुलिस से झ्झड़प हो गई, जिसके बाद पुलिस ने उन्हें तितर-बितर करने के लिए लाठीचार्ज किया। केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए सपा कार्यकर्ताओं ने विधानसभा के सामने वालमार्ट और केंद्र सरकार का पुतला फूंका। इस दौरान वहां मौजूद पुलिस ने जब उन्हें रोकने की कोशिश की तो सपाइयों की उनसे झ्झड़प हो गई।

पुलिस ने सपाइयों को खदेड़ने के लिए उन पर लाठीचार्ज किया। बंद के समर्थन में हजरतगंज, चौक, आलमबाग, अमीनाबाद जैसे प्रमुख बाजारों के व्यापारियों ने अपने प्रतिष्ठान बंद रखे। लखनऊ के करीब दो लाख से ज्यादा छोटे-बड़े व्यापारी अपने प्रतिष्ठान बंद करके भारत बंद का समर्थन किया। आगरा में भी राष्ट्रव्यापी बंद का असर देखा गया। भाजपा व समाजवादी पार्टी की अपील पर ज्यादातर व्यापारी बंद में शामिल हुए।

छत्तीसगढ़ में बंद व्यापक असर देखा गया। सड़कों से वाहन नदारद रहे, पेट्रोल पंप और यहां तक कि शैक्षिक संस्थानों को भी बंद रखा गया। राज्य के सभी 18 जिलों से मिली सूचनाओं के मुताबिकबंद का काफी असर रहा। कुछ स्थानों पर, खासकर राज्य के रायगढ़ व कोरबा जैसे औद्योगिक शहरों में खुदरा व्यापारियों ने ट्रांसपोर्टरों व पेट्रोल पंप मालिकों पर अपनी व्यवसायिक गतिविधियां रोकने के लिए दबाव बनाया। 

मध्य प्रदेश में भी बंद का व्यापक असर रहा। बंद से कारोबार पूरी तरह प्रभावित रहा लेकिन स्कूल, कॉलेज खुले रहे। नगर परिवहन सहित आवश्यक सेवाएं सामान्य रहीं। राजधानी भोपाल सहित राज्य के सभी स्थानों पर कारोबार पूरी तरह ठप्प रहा। व्यापारिक संगठनों ने जगह-जगह धरना दिया और उपवास रखे। इस बंद के चलते प्रदेश में लगभग 100 करोड़ रुपये का कारोबार प्रभावित होने का अनुमान है।

बिहार में बंद को कई राजनीतिक दलों सहित अनेक व्यवसायिक संगठनों का भी समर्थन मिला। पटना सहित राज्य के प्रमुख शहरों में बड़े-बड़े व्यवसायिक प्रतिष्ठान बंद रहे। बाजार बंद रहने के कारण सड़कों पर आवागमन भी कम देखा गया। बंद को देखते हुए सुरक्षा के पुख्ता प्रबंध किए गए।

कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरू में गुरुवार को बड़ी संख्या में दुकानें बंद रहीं। व्यापारियों ने एमजी रोड, ब्रिगेड रोड, कॉमर्शियल स्ट्रीट और उत्तरी बेंगलुरू के मल्लेश्वरम और दक्षिण बेंगलुरू के जयनगर के प्रमुख बाजारों में वाणिज्यिक गतिविधियां ठप्प रखीं। इसके अलावा अक्कीपेट और चिकपेट स्थित थोक बाजारों में भी दुकानें नहीं खुलीं।

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