नई दिल्ली ।। बहु ब्रांड खुदरा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) पर घिरी सरकार को गाढ़े वक्त में उसके सहयोगी दल भी साथ नहीं दे रहे हैं। तृणमूल कांग्रेस ने प्रधानमंत्री से स्पष्ट कह दिया कि वह इस मुद्दे पर उसका समर्थन नहीं कर सकती।

अन्ना हजारे ने कहा है कि सरकार ने लोकपाल विधेयक से पीछा छुड़ाने के लिए एफडीआई का शिगुफा छोड़ा है। इस मुद्दे पर तृणमूल कांग्रेस के रवैये को देखते हुए कांग्रेस की कोर समिति की बैठक हुई और सरकार को इस संकट से निकलने के लिए चर्चा की गई। हालांकि इससे पहले सरकार की ओर से कड़ा रुख अख्तियार करते हुए यह कहा गया कि संकीर्ण राजनीतिक फायदे के लिए यदि एफडीआई को रोका गया तो इससे किसान और उपभोक्ताओं को नुकसान पहुंचेगा। इसी मुद्दे पर शुक्रवार को भी संसद में हंगामा हुआ और लगातार नौंवें दिन कुछ भी कामकाज नहीं हो सका।

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने इस मुद्दे पर अपने सहयोगी दल तृणमूल कांग्रेस का समर्थन जुटाने का प्रयास किया लेकिन तृणमूल अध्यक्ष और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मनमोहन सिंह से कहा कि उनकी पार्टी इस मसले पर सरकार का समर्थन नहीं कर सकती। 

केंद्रीय वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने एफडीआई पर विपक्ष को राजनीतिक संकीर्णता छोड़ने और सरकार के फैसले को लागू करने के इच्छुक राज्यों की राह में राजनीतिक दल रोड़े न अटकाने के लिए कहा। 

एफडीआई और अन्य मुद्दों को लेकर लगातार नौंवें दिन शुक्रवार को भी संसद में गतिरोध बना रहा। परिणामस्वरूप दोनों सदनों की कार्यवाही आगामी बुधवार तक के लिए स्थगित कर दी गई। लोकसभा और राज्यसभा की बैठक शुरू होने के चंद मिनट के भीतर ही स्थगित कर दी गई। दोनों सदनों के पीठासीन अधिकारियों ने पहले प्रश्नकाल रद्द कर कार्यवाही 12 बजे तक स्थगित की। लेकिन दोबारा बैठक शुरू होने के बाद भी जब सदस्यों का हंगामा बंद नहीं हुआ, तो दोनों सदनों की कार्यवाही आगामी बुधवार तक स्थगित कर दी गई। 

संसद की बैठक अब चार दिन बाद बुधवार को होगी। सोमवार को पहले से ही सदन की बैठक नहीं होने वाली थी और मंगलवार को मुहर्रम की छुट्टी है। 

एफडीआई के मुद्दे पर प्रधानमंत्री ने सरकार के सहयोगी दल तृणमूल कांग्रेस का भरोसा जीतने और समर्थन हासिल करने की कोशिश की लेकिन उनकी यह कोशिश असफल साबित हुई। तृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री से साफ कर दिया कि उनकी पार्टी इस मुद्दे पर सरकार का समर्थन नहीं कर सकती। 

मनमोहन सिंह ने ममता को फोन कर उन्हें एफडीआई के फायदे समझाए और उनसे समर्थन की मांग की। बनर्जी ने कहा, “प्रधानमंत्री ने मुझे शुक्रवार को फोन किया और मुझसे एफडीआई पर हमारे निर्णय पर दोबारा विचार करने के लिए कहा। मैंने उनसे कहा कि हम नहीं चाहते कि सरकार गिरे लेकिन एफडीआई के मुद्दे पर सरकार का समर्थन करना हमारे लिए एक समस्या है।”

उन्होंने कहा, “इसके पहले कई मौकों पर मैंने सरकार का समर्थन किया है लेकिन यह मुद्दा काफी संवेदनशील है और मैं लोगों के साथ खड़ा होने के लिए प्रतिबद्ध हूं।”

सरकार की प्रमुख सहयोगी दल तृणमूल कांग्रेस का समर्थन हासिल न होने पर कांग्रेस कोर समिति ने शुक्रवार रात बैठक की और संसदीय गतिरोध तोड़ने और सरकार को मुश्किल से निकालने के पहलुओं पर चर्चा की। 

तृणमूल कांग्रेस के अलावा तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री और द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) के अध्यक्ष एम. करुणानिधि भी ने एफडीआई का विरोध किया है।

वहीं, अन्ना हजारे ने कहा कि सरकार एफडीआई के मसले पर जानबूझकर संसदीय गतिरोद बना रही है। 

अन्ना हजारे ने कहा, “मुझे जो लगता है वह यह है कि सरकार सामाजिक संगठन द्वारा तैयार जन लोकपाल विधेयक को संसद में लाना नहीं चाहती इसलिए वह एफडीआई पर बने गतिरोध को लम्बा खींच रही है। सरकार की मंशा जनलोकपाल विधेयक लाने की नहीं है इसलिए वह संसदीय गतिरोध को जारी रखे हुए है।”

मुखर्जी ने शुक्रवार को खुदरा क्षेत्र में एफडीआई के मुद्दे पर टकराव छोड़कर विपक्षी दलों से उपयुक्त मंच पर चर्चा करने की अपील की। साथ ही उन्होंने कहा कि अगर संकीर्ण राजनीतिक फायदों के लिए इसे रोका गया तो इससे किसानों और उपभोक्ताओं को नुकसान पहुंचेगा।

‘हिंदुस्तान टाइम्स लीडरशिप समिट’ में यहां मुखर्जी ने कहा कि वैश्विक अनुभवों से पता चलता है कि एकीकृत आपूर्ति श्रृंखला वाले संगठित खुदरा कारोबार से फसलों की बर्बादी में कमी आई है जिससे किसानों को फायदा पहुंचा है। साथ ही प्रतियोगी कीमतों के कारण उपभोक्ताओं को भी फायदा पहुंचा है।

मुखर्जी के मुताबिक भारत जैसी उभरती अर्थव्यवस्थाओं के लिए ऐसी नीतियां जरूरी है ताकि उच्च विकास दर हासिल की जा सके।

वहीं, केंद्रीय वाणिज्य मंत्री आनंद शर्मा द्वारा एक टेलीविजन चैनल पर दिए गए बयान पर कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) शासित राज्यों गुजरात और हिमाचल प्रदेश ने एक संसदीय समिति के समक्ष एफडीआई का समर्थन किया है, उनके इस बयान का हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा नेता शांता कुमार ने विरोध किया। उन्होंने सरकार पर आरोप लगाया कि वह ऐसे मुद्दे पर फैसला ले रही है जो संसद की स्थायी समिति के समक्ष अभी भी लम्बित है।

शांता कुमार ने कहा कि वाणिज्य पर उनकी अध्यक्षता वाली समिति ने खुदरा कारोबार में एफडीआई के खिलाफ फैसला दिया था।

उन्होंने कहा, “यह कहा जा रहा है कि हमारे दो राज्यों ने सरकार के रुख का समर्थन किया। यह झूठ है। वर्ष 2009 में वाणिज्य पर मुरली मनोहर जोशी की अध्यक्षता वाली स्थायी समिति ने खुदरा कारोबार में घरेलू और विदेशी निवेश पर एक रिपोर्ट दी । रिपोर्ट में साफ तौर पर कहा गया था कि खुदरा कारोबार में विदेशी निवेश की अनुमति जरा भी नहीं दी जानी चाहिए।”

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