नई दिल्ली ।। प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) पर बने संसदीय गतिरोध तोड़ने के लिए सरकार ने मंगलवार को संकेत दिया कि वह इस मुद्दे पर स्थगन प्रस्ताव लाने और चर्चा के लिए सहमत हो सकती है लेकिन वह अपने फैसले को वापस नहीं ले सकती।

सूत्रों ने बताया कि सरकार ने इस पहल पर हालांकि विपक्षी पार्टियों खासकर मुख्य विपक्षी पार्टी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ पिछले दरवाजे से कोई बातचीत नहीं की है फिर भी सरकार स्थगन प्रस्ताव पर विचार कर सकती है लेकिन एफडीआई पर फैसला वापस लेना उसके लिए सम्भव नहीं है।

कांग्रेस सूत्रों ने आईएएनएस को बताया, “खुदरा कारोबार में एफडीआई पर सरकार एक खुली चर्चा के लिए तैयार हो सकती है लेकिन उसे अपना फैसला वापस लेना सम्भव नहीं है।”

वहीं, भाजपा ने मसले पर स्थगन प्रस्ताव और संसद में बहस कराने के विचार पर नरम पड़ती दिखी।

लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने कहा, “सरकार के पास दो विकल्प हैं। वह एफडीआई पर फैसला वापस ले और महंगाई या कालेधन पर चर्चा शुरू करे अथवा वह संसद में एफडीआई के मुद्दे पर स्थगन प्रस्ताव स्वीकार कर सकती है। यदि प्रस्ताव सदन में गिरता है तो वह अपने फैसले के साथ आगे जा सकती है।”

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