नई दिल्ली ।। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने रविवार को उम्मीद जताई कि चार दिनों के अवकाश के बाद बुधवार से संसद की कार्यवाही सामान्य रूप से चलेगी।

विपक्षी पार्टियों ने हालांकि बहु-ब्रांड खुदरा कारोबार में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) को ठंडे बस्ते में डालने के कथित फैसले पर सरकार से स्पष्टीकरण मांगा है।

नौसेना दिवस पर आयोजित एक समारोह में प्रधानमंत्री से यह पूछे जाने पर कि क्या बुधवार से संसद में कामकाज होगा। इस पर उन्होंने कहा, “उम्मीद है।”

ज्ञात हो कि महंगाई, कालाधन, तेलंगाना, मुल्लापेरियार और एफडीआई की अनुमति के फैसले पर शीतकालीन सत्र में संसद की कार्यवाही बार-बार स्थगित हुई है।

विपक्ष ने सरकार से एफडीआई पर कैबिनेट के फैसले को वापस को लेने की मांग की है जबकि तृणमूल कांग्रेस सहित सरकार के कुछ सहयोगी दलों ने फैसले का कड़ा विरोध किया।

तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष ममता बनर्जी ने शनिवार को कहा कि केंद्र सरकार ने एफडीआई के मसले को अभी ठंडे बस्ते में डालने का फैसला किया है लेकिन इस बारे में आधिकारिक रूप से पुष्टि नहीं की गई।

वहीं, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रवक्ता तरुण विजय ने रविवार को कहा कि एफडीआई के मसले पर सरकार को आधिकारिक रूप से अपना रुख स्पष्ट करना चाहिए।

विजय ने कहा, “इस मसले पर सरकार को पहले अपना स्पष्टीकरण रखने दें। उसे इस मामले में बेदाग निकलकर आना है। तबतक हम कोई टिप्पणी नहीं करेंगे।”

बनर्जी के बयान का हवाला देते हुए उन्होंने कहा, “सरकार ने शायद फैसला वापसी के रूप में अभ्यास के तौर पर एक गुब्बारा छोड़ा है।”

विजय ने कहा कि एफडीआई के फैसले को यदि ठंडे बस्ते में डाला गया तो पार्टी संतुष्ट नहीं होगी।

विजय ने आईएएनएस से कहा, “यह चतुराई भरा रास्ता है सरकार जिसे अख्तियार करने की कोशिश कर रही है। हम चाहते हैं कि सरकार इस फैसले को पूरी तरह से खारिज कर दे अथवा इस मसले पर मतविभाजन के साथ चर्चा होनी चाहिए।”

मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के नेता बासुदेब आचार्य ने कहा कि सरकार का बयान देखने के बाद पार्टी अपनी प्रतिक्रिया देगी।

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