नई दिल्ली ।। केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री आनंद शर्मा ने मल्टीब्रांड खुदरा क्षेत्र में 51 फीसदी और सिंगल ब्रांड में 100 फीसदी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के निर्णय की औपचारिक घोषणा शुक्रवार को की। गुरुवार शाम को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इस विषय में निर्णय लिया था।

संवाददाताओं को सम्बोधित करते हुए शर्मा ने कहा कि इस मुद्दे से जुड़े सभी लोगों के साथ एक साल तक लोकतांत्रिक ढंग से चली चर्चाओं एवं बहस के बाद यह निर्णय लिया गया है।

उन्होंने कहा, “मल्डी ब्रांड खुदरा क्षेत्र में न्यूनतम प्रत्यक्ष विदेशी निवेश 10 करोड़ डॉलर का होगा। यह न्यूनतम है अधिकतम नहीं। इसमें से 50 फीसदी ग्रामीण क्षेत्र की अवसंरचना विकास में निवेश करना होगा। लघु एवं मध्यम उपक्रमों से 30 फीसदी वस्तुएं लेनी होंगी।”

संयोगवश यह संवाददाता सम्मेलन खुदरा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की सीमा बढ़ाए जाने के विरोध में विपक्षी दलों द्वारा संसद के दोनों सदनों को ठप्प किए जाने के कुछ ही देर बाद आयोजित किया गया।

शर्मा ने सरकार के निर्णय का बचाव किया। उन्होंने कहा कि विदेशी खुदरा कम्पनियों की सहायता से प्रभावशाली आपूर्ति व्यवस्था के निर्माण एवं शीत गृह आदि जैसी आधारभूत संरचनाओं के निर्माण में मदद मिलेगी। शर्मा ने कहा कि वर्तमान ने इसकी कमी होने के कारण 40 से 50 फीसदी खाद्य पदार्थ नष्ट हो जाते हैं। दस लाख या उससे अधिक की जनसंख्या वाले शहरों में ही यह स्टोर खोलने की अनुमति मिलेगी।

भारत 1950 लाख टन सब्जियों का उत्पादन करता है। वाणिज्य मंत्री ने कहा कि खुदरा क्षेत्र की बड़ी कम्पनियां किसानों से सीधे उत्पाद खरीदेंगी, उन्हें उत्पाद की अच्छी कीमत देंगी, क्योंकि बिचौलियों की भूमिका खत्म हो जाएगी 

उन्होंने कहा, “किसानों के उत्पादन का आधा हिस्सा बाजार तक पहुंच ही नहीं पाता है। उपभोक्ता खुदरा बाजार से उत्पादों की जो कीमत चुकाते हैं उसका एक तिहाई भी किसानों को नहीं मिलता। बीच में मध्यस्थों की लम्बी श्रृंखला है। हमारे पास संग्रह की सीमित क्षमता है। 80 फीसदी शीत गृहों में सिर्फ आलू रखे जाते हैं।”

बफर स्टॉक को ध्यान में रखते हुए एक शर्त यह है कि कृषि उत्पादों की खरीद पर पहला अधिकार सरकार का होगा।

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