नई दिल्ली ।। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने शुक्रवार को कहा कि भ्रष्टाचार रोकने की प्रक्रिया विकसित करने का काम बहुत आवश्यक हो गया है और देश को इस अवसर का लाभ उठाना चाहिए।

मनमोहन सिंह ने कहा, “हम भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में दूरगामी बदलावों के मोड़ पर खड़े हैं। अन्ना हजारे द्वारा शुरू किए गए आंदोलन ने भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई को शीर्ष एजेंडा बना दिया है। लोकपाल सरकार का शीर्ष एजेंडा है।”

केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और राज्यों के भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के द्विवार्षिक सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, “सरकार नागरिक समाज और गैर सरकारी संगठनों द्वारा भ्रष्टाचार से निपटने के तरीकों पर उपलब्ध कराई गई जानकारी का स्वागत करती है।”

सूचना का अधिकार (आरटीआई) कानून में बदलाव की सरकार की योजना को लेकर नागरिक समाज की आलोचनाओं का सामना करने वाले सिंह ने कहा कि सरकारी अधिकारियों को आरटीआई आवेदनों पर यथासम्भव अधिक से अधिक सूचनाएं मुहैया करानी चाहिए।

मनमोहन सिंह ने कहा, “सार्वजनिक जीवन में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित कराने के लिए आरटीआई एक कारगर औजार है। एक राष्ट्र के रूप में हमें इस क्षण का हरहाल में लाभ लेना चाहिए।”

सिंह ने कहा कि सार्वजनिक जीवन में पारदर्शिता सुनिश्चित कराने और भ्रष्ट लोगों को दंडित करने का काम जितना आज आवश्यक बन गया है, उतना आवश्यक कभी नहीं था। उन्होंने कहा, “एक राष्ट्र के रूप में हमें इस अवसर का लाभ उठाना चाहिए।”

भ्रष्टाचार रोकने के उपायों पर चर्चा करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकारी खरीद के लिए होने वाले करारों में पारदर्शिता सुनिश्चित कराने के लिए सरकार संसद के शीतकालीन सत्र में एक विधेयक पेश करेगी।

उन्होंने यह भी कहा कि सरकार निजी क्षेत्र में रिश्वत को दंडात्मक बनाने के लिए कानून में संशोधन पर विचार कर रही है।

प्रधानमंत्री के अनुसार, भ्रष्टाचार के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र संकल्प, जून 2001 को भारत की मंजूरी से सरकार के भ्रष्टाचार निरोधी प्रयासों को मजबूती मिलेगी और सीमा पार भ्रष्टाचार के मामलों में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग प्राप्त होगा।

सिंह ने कहा कि संकल्प की जरूरतों की पूर्ति के लिए सरकार ने विदेशी सरकारी अधिकारियों की रिश्वतखोरी को एक अपराध बनाने के लिए एक विधेयक पेश किया है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि खुलासा करने वालों को सुरक्षा मुहैया कराने वाले विधेयक के अलावा न्यायिक मानक एवं जवाबदेही विधेयक भी संसद में पेश किया गया है।

प्रधानमंत्री ने आशा जाहिर की कि आने वाले महीनों में एक मजबूत और प्रभावी लोकपाल स्थापित किया जाएगा। उन्होंने कहा, “लोकपाल का आकार चाहे जो भी हो, सीबीआई एक बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती रहेगी।”

ज्ञात हो कि अन्ना पक्ष ने सीबीआई की भ्रष्टाचार निरोधी शाखा को लोकपाल के अधीन लाने की मांग की है।

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