कान (फ्रांस) ।। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह दो दिवसीय जी20 शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए बुधवार को फ्रांस के शहर कान पहुंच गए। वह यहां विभिन्न देशों के साथ द्विपक्षीय बैठक भी करेंगे।

अधिकारियों के मुताबिक शिखर सम्मेलन में मुख्यत: यूरोजोन संकट पर ही बात होने की सम्भावना है, फिर भी प्रधानमंत्री के पास विकास, वित्तीय नियमन, नौकरी और जलवायु परिवर्तन पर कहने के लिए काफी कुछ है।

प्रधानमंत्री गुरुवार और शुक्रवार को सम्मेलन के दौरान फ्रांस के राष्ट्रपति निकोलस सरकोजी, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री डेविड कैमरॉन और आस्ट्रेलिया की प्रधानमंत्री जुलिया गिलार्ड के साथ द्विपक्षीय बैठक भी करेंगे।

अधिकारी ने कहा कि प्रधानमंत्री का पहले शनिवार शाम वापसी का कार्यक्रम तय था, लेकिन इसमें बदलाव हुआ है। अब वह शुक्रवार शाम कान से रवाना हो जाएंगे और शनिवार सुबह वतन पहुंच जाएंगे।

अधिकारी ने कहा कि भारत का ध्यान तीन सत्रों पर अधिक रहेगा- एक, नौकरी, विकास और वित्तीय प्रणाली में सुधार की कार्य योजना, दूसरा, कृषि, ऊर्जा और जलवायु परिवर्तन और तीसरा, भ्रष्टाचार का मुकाबला।

इससे पहले कान के लिए रवाना होने से पहले प्रधानमंत्री ने एक बयान में कहा, “भारत जैसे विकासशील देशों को अपनी चुनौतियों से निपटने के लिए विश्व स्तर पर सहायक माहौल की जरूरत है।”

जी-20 का गठन 1999 में पूर्वी एशिया में आर्थिक संकट के बाद किया गया था। यह प्रारम्भ में वित्त मंत्री और केंद्रीय बैंकों के गवर्नर के स्तर पर गठित हुआ था। लेकिन 2008 के वैश्विक आर्थिक संकट के बाद इसे शिखर स्तर का कर दिया गया।

वाशिंगटन, लंदन, पिट्सबर्ग, टोरंटो और सियोल में हुए पांच शिखर सम्मेलनों की तरह ही इस बार भी योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया प्रधानमंत्री के प्रमुख वार्ताकार होंगे।

जी-20 के इस बार के शिखर सम्मेलन में भारत और मेजबान फ्रांस के अतिरिक्त ब्राजील, अमेरिका, कनाडा, चीन, अर्जेटीना, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण कोरिया, जर्मनी, इंडोनेशिया, इटली, जापान, मेक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, तुर्की, ब्रिटेन तथा यूरोपीय संघ इसमें शामिल हैं।

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