नई दिल्ली ।। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह जी-20 शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए बुधवार को फ्रांसीसी शहर कांस रवाना हो गए। यह जी-20 का छठा शिखर सम्मेलन होगा। इसमें यूरोप के वित्तीय संकट पर मुख्य रूप से ध्यान केंद्रित किया जाएगा।

गुरुवार और शुक्रवार को होने वाले इस दो दिवसीय शिखर सम्मेलन में पूर्व में सदस्य देशों की वित्तीय नीतियों के आपसी आकलन और विश्व बैंक तथा अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष में सुधार जैसे विभिन्न विषयों पर हुई चर्चा की प्रगति पर भी ध्यान केंद्रित किया जाएगा।

वाशिंगटन, लंदन, पिट्सबर्ग, टोरंटो और सियोल में हुए पांच शिखर सम्मेलनों की तरह ही इस बार भी योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया प्रधानमंत्री के प्रमुख वार्ताकार होंगे। प्रधानमंत्री शनिवार सुबह स्वदेश लौट आएंगे।

जी-20 का गठन 1999 में पूर्वी एशिया में आर्थिक संकट के बाद किया गया था। यह प्रारम्भ में वित्त मंत्री और केंद्रीय बैंकों के गवर्नर के स्तर पर गठित हुआ था। लेकिन 2008 के वैश्विक आर्थिक संकट के बाद इसे शिखर स्तर का कर दिया गया।

भारत और जी-20 के इस बार के शिखर सम्मेलन के मेजबान फ्रांस के अतिरिक्त ब्राजील, अमेरिका, कनाडा, चीन, अर्जेटीना, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण कोरिया, जर्मनी, इंडोनेशिया, इटली, जापान, मेक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, तुर्की, ब्रिटेन तथा यूरोपीय संघ इसके सदस्य हैं।

वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद में जी-20 के सदस्य देशों का योगदान 80 प्रतिशत है, जबकि उनकी जनसंख्या दुनिया की आबादी का दो-तिहाई है।

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