नई दिल्ली ।। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 142वीं जयंती रविवार को देशभर में श्रद्धापूर्व मनाई गई। दिल्ली के राजघाट स्थित बापू की समाधि पर प्रधानमंत्री सहित अन्य राजनेताओं ने श्रद्धासुमन अर्पित किए।

विभिन्न राज्यों में जगह-जगह कार्यक्रम आयोजित किए गए तथा गुजरात के पोरबंदर में विशाल गांधी स्मृति भवन राष्ट्र को समर्पित किया गया।

रविवार सुबह प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने राजघाट जाकर महात्मा गांधी की समाधि पर श्रद्धासुमन आपित किए। विदेश में सर्जरी कराने के बाद सोनिया पहली बार यहां सार्वजनिक तौर पर देखी गई। पृष्ठभूमि में ‘रघुपति राघव राजा राम’ और ‘वैष्णव जन तो तेने कहिए’ जैसे भक्तिगीत सुनाई दे रहे थे।

महात्मा गांधी की समाधि पर पुष्पांजलि अर्पित करने वालों में दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित और केंद्रीय शहरी विकास मंत्री कमलनाथ भी शमिल थे।

राजघाट पर हुई सर्वधर्म प्रार्थना सभा में हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, जैन, बौद्ध, बहाई आदि धर्मो के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। इसके अलावा स्कूली छात्रों, झुग्गियों के बच्चों, राजनेताओं एवं राजनयिकों सहित हजारों लोगों ने बापू की समाधि पर श्रद्धांजलि अर्पित की। कई लोगों ने गांधीजी के अंतिम संदेश ‘सत्य और अहिंसा’ को अपने जीवन में उतारने का संकल्प लिया। कई अन्य नेताओं के वहां आने का क्रम दिनभर जारी रहा।

झुग्गी बस्तियों और आश्रय गृहों के बच्चों सहित बड़ी संख्या में लोग गांधी समाधि पर जमा हुए और उनमें से कुछ ने भजन गाए और समाधि पर फूल चढ़ाए।

उत्तरी दिल्ली के सलाम बालक ट्रस्ट से आए 13 वर्षीय अनूप ने कहा, “मैं यहां पहली बार आया हूं और गांधीजी की जयंती पर अपने देश के नेताओं के सामने प्रस्तुति देकर बहुत अच्छा महसूस कर रहा हूं। मैं इस मौके को हमेशा याद रखूंगा।”

एक सरकारी कर्मचारी संजीव गुप्ता ने कहा, “महात्मा गांधी के निधन के वर्षो बाद भी उनके संदेशों का महत्व कायम है। शैक्षिक संस्थानों से लेकर फिल्म उद्योग तक में प्रत्येक व्यक्ति ने उनसे प्रेरणा ली है।”

सत्तारूढ़ और विपक्षी दलों के सांसदों ने संसद भवन परिसर में बापू के चित्र पर श्रद्धांजलि अर्पित की। संयुक्त राष्ट्र की घोषणा के अनुरूप इस दिन को अब अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में भी मनाया जाता है।

दोपहर बाद गांधी स्मृति के मैदान में आयोजित समारोह में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के साथ उनकी पत्नी गुरशरण कौर, उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी, दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित सहित कई अन्य राजनेता भी शामिल हुए।

समारोह में बच्चों ने ‘रघुपति राघव राजा राम’ जैसे बापू के पसंदीदा भजन गाए। इन बच्चों में से अधिकांश झुग्गियों और आश्रय गृहों में रहने वाले हैं जिन्होंने अपने गायन के माध्यम से राष्ट्रपिता को श्रद्धांजलि दी।

सफेद कुर्ता-पाजामा और गांधी टोपी पहने लगभग 300 बच्चों ने राष्ट्रपिता को समर्पित भजन एवं भक्तिगीत गाए। सर्वधर्म प्रार्थना के बाद शास्त्रीय गायिका कुमुद दीवान ने भक्ति संगीत प्रस्तुत किया।

कार्यक्रम में आए लोगों ने उस जगह पर पुष्पांजलि अर्पित की जहां 30 जनवरी, 1948 को गांधी जी शहीद हुए थे।

दोपहर में एक पाकिस्तानी चित्रकार अब्दुल वसील ने अपने लहू से बनाई गांधीजी की तस्वीर यहां के गांधी दर्शन संग्रहालय में भेंट की।

लाहौर से गांधीजी को श्रद्धांजलि देने आए वसील ने कहा, “मैं सोचता हूं कि दोनों देशों के लोगों से कहने का यह बेहतर जरिया है कि इस वक्त हम दुश्मनी को भुला दें और मिलजुल कर रहें। मैं महात्मा गांधी को जानता हूं जिन्होंने अहिंसा का पाठ पढ़ाया। मैंने उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए अपना खून बहाया है, जिसका मतलब यह है कि सीमा के दोनों तरफ से और खून नहीं बहना चाहिए।”

उन्होंने कहा, “श्रद्धांजलि देने के मेरे तरीके पर लोगों ने मिलीजुली प्रतिक्रिया दी है। मैं उम्मीद करता हूं कि यह तस्वीर लोगों के दिलों को पिघलाएगी।”

लाहौर में ‘पेंटर बाबू’ के नाम से मशहूर वसील की अल्लामा इकबाल रोड पर एक छोटी सी दुकान है। इस चित्रकार ने 2009 में अपनी नसों से सीरिंज के जरिए खून खींचकर यह तस्वीर बनाई थी।

वसील ने कहा, “महात्मा की छवि मेरे दिमाग में थी जिसे मैं कैनवास पर उकेरना चाहता था।” उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो और नोबेल शांति पुरस्कार विजेता नेल्सन मंडेला की तस्वीर भी उन्होंने लहू से बनाई है।

उन्होंने गांधीजी की तस्वीर राजघाट के निकट स्थित गांधी स्मृति एवं दर्शन समिति की उपाध्यक्ष तथा महात्मा गांधी की पौत्री तारा गांधी भट्टाचार्य को सौंपी।

उधर, अहमदाबाद के साबरमती आश्रम में गुजरात की राज्यपाल कमला बेनीवाल की उपस्थिति में सर्वधर्म प्रार्थना सभा हुई। बापू की जन्मस्थली पोरबंदर में मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक विशाल गांधी स्मृति भवन राष्ट्र को समर्पित किया। गुजरात में आज से नशाबंदी पखवाड़ा भी शुरू किया गया है।

उल्लेखनीय है कि गांधीजी का जन्म गुजरात के पोरबंदर में दो अक्टूबर, 1869 को हुआ था और 30 जनवरी, 1948 को दिल्ली में एक प्रार्थना सभा में जाते समय उनकी हत्या कर दी गई थी।

 

Rate this post

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here