वाशिंगटन ।। हारवर्ड युनिवर्सिटी ने मुम्बई के एक समाचार पत्र में विवादास्पद लेख लिखने के लिए जनता पार्टी के अध्यक्ष सुब्रह्मण्यम स्वामी के गृष्मकालीन पाठ्यक्रमों को रद्द कर दिया है। स्वामी ने अपने लेख में भारत में खास समुदाय के सैकड़ों इबादतगाहों को ध्वस्त करने और गैर हिंदुओं के मताधिकार समाप्त करने की वकालत की थी।

युनिवर्सिटी परिसर से प्रकाशित अखबार, ‘द हारवर्ड क्रिमसन’ के अनुसार, कला एवं विज्ञान संकाय की एक बैठक में मंगलवार को हुई गरमागर्म बहस के बाद गृष्मकालीन स्कूल के दो पाठ्यक्रमों को हटाने का निर्णय लिया गया। इन पाठ्यक्रमों में इकॉनॉमिक्स एस-110 और इकॉनामिक्स एस-1316 शामिल हैं, जिन्हें स्वामी पढ़ाते थे। 

अखबार में प्रकाशित रपट में कहा गया है कि अंग्रेजी समाचार पत्र, ‘डेली न्यूज एंड एनलिसिस’ में पिछली गर्मियों में प्रकाशित लेख के लिए स्वामी की काफी आलोचना हुई थी। लेख में उन्होंने देश में स्थित खास समुदाय के इबादतगाहों को ध्वस्त करने और ऐसे गैर हिंदुओं के मताधिकार समाप्त करने की वकालत की थी, जो हिंदू वंश परम्परा को नहीं स्वीकार करते। इसके साथ ही उन्होंने हिंदुओं के धर्मपरिवर्तन पर भी प्रतिबंध लगाने की मांग की थी।

अखबार ने तुलनात्मक धर्म की प्रोफेसर, डायना एल. एक के हवाले से कहा है, “स्वामी का आलेख एक पूरे समुदाय के खिलाफ दुष्प्रचार और उनके पवित्र स्थलों के खिलाफ हिंसा की बात कर स्पष्ट तौर पर सीमा का उल्लंघन करता है।”

डायना ने कहा है कि हारवर्ड की यह एक नैतिक जिम्मेदारी है कि वह ऐसे किसी भी व्यक्ति के साथ सम्बंध न रखे, जो किसी अल्पसंख्यक समुदाय के लिए नफरत की भावना जाहिर करे। डायना ने कहा, “अलोकप्रिय और अवांछनीय राजनीतिक विचारों में एक फर्क है।”

यद्यपि हारवर्ड ने अगस्त में अभिव्यक्ति की आजादी के प्रति अपनी घोषित प्रतिबद्धता पर दृढ़ रहने के एक प्रयास में स्वामी का साथ दिया था। लेकिन संकाय के सदस्यों ने अब उनके दो पाठ्यक्रमों को हटा दिया है। साथ ही हारवर्ड के शिक्षकों की सूची से भी उनका नाम हटा दिया गया है।

कई प्रोफेसरों का मानना है कि स्वामी का आलेख अभिव्यक्ति की आजादी का कोई उत्पाद नहीं था, बल्कि यह नफरत की अभिव्यक्ति थी।

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