चण्डीगढ़ ।। हिसार लोकसभा उपचुनाव में शर्मनाक हार के बाद हरियाणा की सत्ताधारी कांग्रेस पार्टी और खासतौर से मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा एक बार फिर 30 नवम्बर को आदमपुर और रतिया विधानसभा सीटों के लिए हो रहे उपचुनाव की मुश्किल में फंस गए है।

दोनों सीटों पर कांग्रेस की समस्या यह है कि ये विपक्षी दलों के गढ़ हैं। हुड्डा सरकार के एक मंत्री ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर आईएएनएस से कहा, “हमारे लिए यह एक कठिन काम है। हाल में हिसार की हार, मूल्य वृद्धि और भ्रष्टाचार-सब कुछ कांग्रेस के खिलाफ जाएगा।”

वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओं का कहना है कि हरियाणा जनहित कांग्रेस (एचजेसी) और इंडियन नेशनल लोक दल (इनेलो) के उम्मीदवारों से इन दोनों सीटों को जीत पाना कांग्रेस उम्मीदवारों के लिए कठिन होगा।

हिसार लोकसभा उपचुनाव में चुनाव अभियान का नेतृत्व हुड्डा ने सम्भाली थी। लगातार 15 दिनों तक वह क्षेत्र में डेरा डाले रहे। इसके बावजूद कांग्रेस उम्मीदवार जयप्रकाश न केवल चुनाव हारे, बल्कि तीसरे स्थान पर रहे और यहां तक कि उनकी जमानत भी जब्त हो गई।

हिसार जिले की आदमपुर विधानसभा सीट पूर्व मुख्यमंत्री भजनलाल के परिवार का गढ़ है। भजनलाल के बेटे कुलदीप बिश्नोई ने महत्वपूर्ण हिसार लोकसभा सीट जीतने के बाद पिछले महीने आदमपुर विधानसभा सीट से इस्तीफा दे दिया था।

1968 से लेकर अबतक आदमपुर सीट पर भजनलाल और उनके पारिवारिक सदस्यों का कब्जा रहा है। भजनलाल स्वयं इस सीट से रिकार्ड नौ बार चुनाव जीते थे। दल बदल विरोधी कानून के तहत राज्य विधानसभा से अयोग्य करार दिए जाने के बाद मई 2008 में हुए उपचुनाव में भी भजनलाल ने जीत दर्ज कराई थी।

77 साल की उम्र और बीमारी हालत में उपचुनाव में 26,000 वोटों से हुई भजनलाल की जीत को मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा ने राजनीतिक रूप से निर्थक बताया था। इसके बाद वर्ष 2009 के चुनाव में उनके बेटे कुलदीप बिश्नोई ने यहां से जीत दर्ज की थी।

इस बार उपचुनाव में कुलदीप बिश्नोई की पत्नी रेणुका बिश्नोई उम्मीदवार होंगी।

रतिया (आरक्षित) विधानसभा सीट पर भी कांग्रेस को कोई उम्मीद नहीं है। कांग्रेस इस सीट पर सिर्फ एक बार 1982 में विजयी हुई थी, वह भी मात्र 200 से कम वोट से, और तब कांग्रेस उम्मीदवार नेकी राम ने जीत दर्ज कराई थी।

पिछले तीन विधानसभा चुनावों से इस सीट पर इनेलो का कब्जा है। इस बार भी इस सीट से इनेलो की जीत की सम्भावना है। इनेलो विधायक ज्ञान चंद ओढ के निधन के कारण सितम्बर में यह सीट रिक्त हो गई थी।

Rate this post

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here