कोलकाता ।। कोलकाता के एएमआरआई अस्पताल में भीषण आग में मरने वालों की संख्या 90 हो गई है। भारत के अस्पतालों में अब तक की यह सबसे पड़ी त्रासदी है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के आदेश पर अस्पताल से जुड़े छह अधिकारियों को गिरफ्तार कर लिया गया है, इनमें से दो अस्पताल के मालिक हैं। 

इस बीच, केंद्रीय वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने एसएसकेएम अस्पताल का जायजा लिया। मृतकों के शवों को इस अस्पताल में रखा गया है। मुखर्जी ने मृतकों के प्रति संवेदनाएं प्रकट कीं। प्रधानमंत्री ने मृतकों के परिजनों के लिए मुआवजे की घोषणा की है।

अस्पताल में भीषण आग शुक्रवार तड़के 3.30 बजे लगी। इस समय सभी मरीज सो रहे थे जबकि अस्पताल की ज्यादातर नर्से, डॉक्टर और अन्य कर्मी वहां से भागने में सफल हो गए। अस्पताल में गम्भीर हालत में भर्ती मरीजों की दम घुटने से मौत हो गई। मृतकों में एक मरीज बांग्लादेश का भी है।

अग्निकांड के बाद अस्पताल के चार निदेशकों सहित छह को इस मामले में गिरफ्तार कर लिया गया है। उनके खिलाफ गैर-जमानती धाराओं के तहत आपराधिक मामले दर्ज किए गए हैं। इनमें श्राशी समूह के अध्यक्ष एस. के. टोडी और इमामी समूह के अध्यक्ष आर. एस. गोयनका शामिल हैं। अस्पताल का लाइसेंस भी रद्द कर दिया गया है।

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने घटना पर दु:ख जताते हुए इसके शिकार हुए लोगों के परिजनों को दो-दो लाख रुपये की सहायता राशि देने की घोषणा की।

आग बेसमेंट में लगी और कुछ ही देर में इसकी लपटों ने अस्पताल की कई मंजिलों को भी अपनी गिरफ्त में ले लिया। अस्पताल की नर्स, डॉक्टर तथा अन्य कर्मचारी जहां बाहर निकलने में कामयाब रहे, वहीं गम्भीर रूप से बीमार मरीज अपने बिस्तर से उठा नहीं पाए और मौत के शिकार हो गए। बताया जाता है कि अस्पताल परिसर में गैस सिलेंडर और खतरनाक रसायन भी थे।

अधिकतर मरीजों की मौत दम घुटने के कारण हुई। कुछ भाग्यशाली मरीज हालांकि इस अग्निकांड से बच निकलने में कामयाब रहे। वे रस्सियों व सीढ़ियों के सहारे बाहर निकले जबकि हजारों दशहत में दिखे। 

देर शाम तक अस्पताल की दीवारों में सुराग करने और कांच की खिड़कियां तोड़ने की कोशिश की जा रही थी, ताकि भीतर फंसे व जीवित बचे लोगों और मृतकों के शवों को बाहर निकाला जा सके। घायलों को शहर के अन्य अस्पतालों में पहुंचाया गया। हादसे में ज्यादातर लोगों की मौत दम घुटने से हुई। शवों को एसएसकेएम अस्पताल में रखा गया है।

मरीजों के परिजनों ने राज्य एवं अस्पताल प्रशासन पर राहत कार्य देरी से शुरू करने का आरोप लगाया। इसे लेकर उनमें रोष भी देखा गया। इसका सामना मुख्मंत्री को भी करना पड़ा।

परिजनों का आरोप है कि अग्निशमन की गाड़ियां देरी से मौके पर पहुंचीं और वे भी संसाधन युक्त नहीं थीं। वरना बहुत से लोगों को बचाया जा सकता था।

प्रदीप सरकार ने बताया कि स्काई लिफ्ट आग लगने के करीब साढ़े तीन घंटे बाद सुबह सात बजे पहुंचा। इस दुर्घटना में उनके ससुर की जान चली गई, जिन्हें गुरुवार को ही हृदय रोग सम्बंधी बीमारी के उपचार के लिए भर्ती कराया गया था।

दुखी सरकार ने कहा, “अब आने का क्या मतलब है? वह मर चुके हैं। सबकी मौत हो चुकी है। प्रशासन बेकार है, उससे कोई उम्मीद बेमानी है। यदि स्काई लिफ्ट पहले पहुंचता तो बहुत से लोगों को बचाया जा सकता था।”

परिजनों के आक्रोश का सामना ममता को भी करना पड़ा। जब वह घटनास्थल पर पहुंचीं तो लोगों में जबरदस्त गुस्सा था। एक मरीज के परिजन ने लगभग चीखते हुए कहा, “ममता के यहां होने की वजह से एनेक्सी भवन की ओर एम्बुलेंस नहीं आ रही है। उन्हें दूसरी तरफ जाने के लिए कहिए।”

इस अस्पताल की स्थापना 1996 में इमामी एवं श्राशी समूह ने पश्चिम बंगाल सरकार के सहयोग से की थी। इसकी गिनती देश के उम्दा अस्पतालों में होती है। यहां की विशेष सुविधाएं विदेशियों को भी आकर्षित करती हैं, लेकिन इस अग्निकांड में सब जलकर राख हो गया।

बंद खिड़कियों व शीशे के कारण मरीजों के लिए अस्पताल से बाहर आना मुश्किल हो गया और दम घुटने से उनकी मौत हो गई। पश्चिम बंगाल के शहरी निकाय मंत्री फरहद हकीम ने कहा, “अधिकतर लोगों की मौत धुएं से दम घुटने के कारण हुई। उनमें से अधिकतर गहन चिकित्सा कक्ष में भर्ती थे।”

उन्होंने कहा, “मेरे मित्र के पिताजी ऊपरी मंजिल पर भर्ती थे। जब उन्हें पता चला कि मैं यहां हूं तो उन्होंने अपने बेटे को फोन कर मुझसे उन्हें बचाने के लिए कहने को कहा। मैं कुछ नहीं कर सका। मैंने उनका जला हुआ शव देखा है।”

वहीं, अस्पताल के प्रवक्ता ने बताया, “अग्निकांड के समय अस्पताल में 160 मरीज थे, जिनमें 40-50 गहन चिकित्सा कक्ष में थे। 80 फीसदी लोगों को निकाल लिया गया है।” प्रभावित खंड में करीब 200 बिस्तर हैं।

Rate this post

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here