नई दिल्ली ।। संसद के दोनों सदनों में शुक्रवार को गुजरात में राज्य सरकार की सहमति के बगैर लोकायुक्त की नियुक्ति का मामला छाया रहा। गुजरात में सत्तारूढ़ और संसद के दोनों सदनों में मुख्य विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी [भाजपा] ने इसे लेकर भारी हंगामा किया, जिसके बाद दोनों सदनों की कार्यवाही कुछ समय के लिए स्थगित करनी पड़ी।

लोकसभा में प्रश्नकाल के तुरंत बाद भाजपा सदस्यों ने यह मामला उठाया और इसे देश के संघीय ढांचे पर हमला बताया। भाजपा सदस्य नारेबाजी करते हुए सदन की अध्यक्ष मीरा कुमार के आसन के समक्ष जा पहुंचे। उन्होंने सदस्यों से अपनी सीट पर जाने के लिए कहा, लेकिन नाराज सदस्यों ने उनकी बात नहीं सुनी, जिसके बाद अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी।

उधर, राज्यसभा में भी इस मुद्दे को लेकर कई बार सदन की कार्यवाही स्थगित हुई। भाजपा ने प्रश्नकाल शुरू होते ही यह मुद्दा उठाया। पार्टी सदस्यों ने राज्य सरकार के परामर्श के बगैर लोकायुक्त की नियुक्ति पर सवाल उठाए और कहा कि यह देश के संघीय ढांचे का उल्लंघन है।

भाजपा सदस्य सभापति के आसन के समक्ष पहुंच गए और नारेबाजी शुरू करने लगे। इसके बाद सभापति हामिद अंसारी ने सदन की कार्यवाही 15 मिनट के लिए स्थगित कर दी। कार्यवाही दोबारा शुरू होने पर फिर हंगामा हुआ, जिसके बाद फिर 15 मिनट के लिए सदन की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी। भारी हंगामे के बीच 2.30 बजे तक एक बार फिर सदन की कार्यवाही स्थगित हुई।

गुजरात में सत्तारूढ़ भाजपा राज्य सरकार की सहमति के बगैर लोकायुक्त की नियुक्ति का विरोध कर रही है। मुख्यमंत्री ने नरेंद्र मोदी ने इस सिलसिले में गुरुवार को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को पत्र भी लिखा। राज्यपाल कमला बेनीवाल ने पिछले सप्ताह सेवानिवृत्त न्यायाधीश आर. ए. मेहता को राज्य का लोकायुक्त नियुक्त किया था। गुजरात सरकार ने इसे उच्च न्यायालय में भी चुनौती दी है। यह पद पिछले सात साल से रिक्त पड़ा था।

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