नई दिल्ली ।। रिजर्व बैंक ने रेपो रेट में चौथाई प्रतिशत तक की बढ़ोतरी कर दी है। ब्याज दरों में की गई इस ताजा बढ़ोतरी के साथ ही होम लोन, कार लोन व अन्य तरह के लोन अब और महंगे हो जाएंगे।

मौद्रिक और कर्ज़ नीति की तिमाही समीक्षा में रिजर्व बैंक ने 0.25 फीसदी ब्याज दर बढ़ाने का फैसला किया। तमाम कोशिशों के बावजूद महंगाई दर के उच्च स्तर पर बने रहने के कारण भारतीय रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को अर्धतिमाही मौद्रिक समीक्षा में अपनी प्रमुख दरों में वृद्धि करने की घोषणा की।

रिजर्व बैंक की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि उसने तुरंत प्रभाव से रेपो दर में वृद्धि करने का फैसला किया है। बैंक ने रेपो दर में 25 आधार अंकों की वृद्धि करते हुए इसे आठ फीसदी से बढ़ाकर 8.25 फीसदी कर दिया है।

इस तरह रेपो दर में वृद्धि से रिवर्स रेपो दर स्वाभाविक तौर पर बढ़कर 7.25 फीसदी हो गई है। व्यावसायिक बैंकों द्वारा रिजर्व बैंक के पास जमा धन पर जिस दर से ब्याज मिलता है उसे रिवर्स रेपो दर कहते है। नई दरें तत्काल प्रभाव से लागू होंगी।

रिजर्व बैंक ने स्पष्ट किया है कि आने वाले समय में भी कड़े कदम उठाए जाएंगे ताकि महंगाई पर काबू पाया जा सके। पिछले दो वर्षों में रिजर्व बैंक 12 बार छोटी अवधि के लिए ब्याज दरें बढ़ा चुका है। आम लोगों के नज़रिए से देखें तो जो होम लोन चार साल पहले सात प्रतिशत के ब्याज पर मिलता था वो अब 12 प्रतिशत से कम पर नहीं मिल रहा है।

महंगाई दर उच्च स्तर पर बने रहने के कारण भारतीय रिजर्व बैंक ने जनवरी 2010 के बाद से 12वीं बार प्रमुख दरों में 25 आधार अंकों की वृद्धि की है। इस कारण वाहन, मकान और व्यावसायिक ऋण के महंगे होने की सम्भावना प्रबल हो गई है।

अर्धतिमाही मौद्रिक समीक्षा पेश करते हुए रिजर्व बैंक के गवर्नर डी. सुब्बाराव ने बयान में कहा है कि 26 जुलाई को पेश मौद्रिक समीक्षा में अर्थव्यस्था की जो स्थिति थी वह आज और खराब हुई है।

रिजर्व बैंक के इस कदम से व्यावसायिक बैंकों के ब्याज दरों में वृद्धि करने की सम्भावना प्रबल हो गई है। रेपो दर में वृद्धि के कारण व्यावसायिक बैंकों के लिए रिजर्व बैंक से उधार लेना महंगा हो जाएगा जबकि रिवर्स रेपो में वृद्धि से उनके लिए रिजर्व बैंक के पास धन जमा कराना लाभदायक साबित होगा। इन दोनों स्थितियों में ग्राहकों को ऋण देने के लिए व्यावसायिक बैंकों के पास धन की उपलब्धता कम होगी और वे ब्याज दरों में वृद्धि कर ऋण की मांग को हतोत्साहित करेंगे।

ऋण की मांग में कमी आने से बाजार में मुद्रा की उपलब्धता कम होगी, जो महंगाई को रोकने में कारगर साबित हो सकता है।

लगातार ब्याज दरें बढ़ाने से मार उन पर भी पड़ी है जिन्होंने लोन तो पहले ले लिया था लेकिन अब उनकी मासिक किश्त बढ़ा दी गई। हालांकि जिन लोगों ने फिक्स्ड रेट पर लोन लिया उन्हें थोड़ी राहत है।

इससे पहले  रिजर्व बैंक ने 26 जुलाई को रेपो और रिवर्स रेपो दर में आधा फ़ीसदी की वृद्दि की थी। रेपो दर वह है जिस रेट पर रिजर्व बैंक अन्य बैंकों को कर्ज़ देती है। अन्य बैंक रिजर्व बैंक में जो पैसा जमा करते हैं उस पर मिलने वाला ब्याज रिवर्स रेपो दर कहलाता है।

फिलहाल रिवर्स रेपो रेट सात फीसदी है। सीआरआर यानी नकद आरक्षी अनुपात में कोई बदलाव नहीं किया गया है। सीआरआर वह राशि है जो सभी बैंकों को रिजर्व बैंक के पास जमा रखना ही होता है।

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