नई दिल्ली ।। देश के पूर्वी और उत्तरी हिस्सों तथा पड़ोसी देश नेपाल में रविवार शाम को आए 6.8 की तीव्रता वाले भूकम्प में देश के भीतर अब तक कम से कम 30 लोगों की मौत हो चुकी है जबकि सैकड़ों घायल हैं। नेपाल में भूकम्प में नौ लोगों की मौत हुई है जबकि 100 से ज्यादा घायल हैं। तिब्बत में भी सात लोगों की मौत होने की सूचना मिली है। राहत और बचाव कार्यो में सेना के जवानों की मदद ली जा रही है।

भूकम्प के झटके असम, पश्चिम बंगाल के कुछ हिस्सों, झारखण्ड, बिहार, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और दिल्ली में भी महसूस किए गए।

सिक्किम में रविवार को आए भीषण भूकम्प में मरने वालों की संख्या 18 हो गई है। बाद में यहां भूकम्प के दो कम तीव्रता वाले झटके भी महसूस किए गए। भूकम्प का केंद्र सिक्किम-नेपाल सीमा पर था। विभिन्न क्षेत्रों से मिल रही सूचनाओं के आधार पर यहां भूकम्प में घायल होने वालों की संख्या 200 से ज्यादा हो गई है।

जिला मजिस्ट्रेट (सिक्किम पूर्व) जी. आनंदन ने बताया कि राष्ट्रीय राजमार्ग 31-ए बाधित हो जाने से सिक्किम का सम्पर्क देश से शेष भागों से कट गया है। राजमार्ग पर कम से कम आठ स्थानों पर भारी भूस्खलन हुआ है। उन्होंने बताया कि 120 किलोमीटर लम्बे राष्ट्रीय राजमार्ग 31-ए पर कंक्रीट से बने कम से कम 25 पुल ढह गए हैं। उन्होंने बताया कि सिक्किम सचिवालय की इमरात में भी दरारें आ गई हैं।

सूत्रों के अनुसार सेना की करीब 50 टुकड़ियों के छोटे-छोटे दलों को सिक्किम, सिलीगुड़ी, बिनागुड़ी और गंगटोक के आसपास की स्थानीय इकाइयों में तैनात कर दिया गया है। राहत कार्य युद्ध स्तर पर जारी हैं। सेना के अलावा सीमा सड़क संगठन को भी राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 31-ए पर यातायात सामान्य करने के काम में लगाया गया है।

इस बीच भारतीय वायु सेना ने राहत सामग्री और बचावकर्मियों के साथ पांच मालवाहक विमान पूर्वोत्तर भेजे हैं। बारिश के कारण राहत और बचाव कार्यो में रूकावट आ रही है।

पश्चिम बंगाल के उत्तरी जिलों में कम से कम छह लोगों की मौत हो गई है और 200 से ज्यादा घायल हो गए। पुलिस ने बताया कि सिलीगुड़ी में दो लोगों, दार्जिलिंग में तीन और जमशेदपुर जिले में एक व्यक्ति की मौत हो गई है। कई इमारतों में दरारें आ गई हैं। सिक्किम व उत्तरी बंगाल के बीच सम्पर्क कट गया है। दार्जिलिंग के कलिमपांग व कुर्सियांग इलाके में भारी भूस्खलन से यह स्थिति पैदा हुई है।

उत्तर बंगाल मामलों के मंत्री गौतम देब ने रविवार रात बताया कि सिलीगुड़ी के एक नर्सिग होम में कई मरीज घायल हो गए। सिलीगुड़ी अस्पताल के चिकित्सकों ने बताया कि करीब 40 लोगों को भर्ती किया गया जबकि 40 अन्य की इलाज के बाद छुट्टी कर दी गई है। चिकित्सकों ने बताया कि कम से कम 50 लोगों का विभिन्न नर्सिग होम्स व अस्पतालों में इलाज चल रहा है।

सिक्किम के नजदीक स्थित कलिमपोंग, जलपाईगुड़ी और कूच बिहार जिलों में बिजली आपूर्ति ठप्प हो गई थी। सिलीगुड़ी में एक सब-स्टेशन क्षतिग्रस्त हो गया था लेकिन रविवार रात तक बिजली आपूर्ति बहाल हो गई।

देब ने बताया, “दार्जिलिंग सहित उत्तर बंगाल के ज्यादातर इलाके भूकम्प के बाद बारिश की चपेट में हैं, यहां रविवार रात से लगातार बारिश जारी है। भूकम्प के बाद कलिमपांग और कुर्सियांग में हुए भूस्खलन से स्थिति और भी खराब हो गई है।”

एक दमकल अधिकारी ने बताया कि भूकम्प से दीवारों के ढहने और गैस रिसाव के चलते बिजली आपूर्ति की लाइनें और दूरसंचार नेटवर्क बाधित हुए हैं।

राज्य सचिवालय, राइटर्स बिल्डिंग्स के पुलिस नियंत्रण कक्षों व कोलकाता स्थित पुलिस मुख्यालयों में एक आपातकालीन हेल्पलाइन (03322145486) शुरू की गई है।

मौसम विज्ञान अधिकारियों ने चेतावनी दी है कि भारी बारिश के कारण दार्जिलिंग के पहाड़ी इलाके में और भी भूस्खलन हो सकता है। भूकम्प के और भी झटके आ सकते हैं।

बिहार में दो लोगों की मौत हो गई जबकि कई स्थानों पर मकान ढह गए। इधर, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मुख्यमंत्री राहत कोष से मृतकों के परिजनों को डेढ़-डेढ़ लाख रुपये देने की घोषणा की है तथा आपदा प्रबंधन विभाग को क्षति की समीक्षा करने का निर्देश दिया है।

इधर, भूकम्प से बिहार के कटिहार में दो, नवादा में एक तथा नालंदा में एक मकान ढह गया। जबकि बिहार-नेपाल सीमा से सटे इलाकों में कई मकानों की दीवारों में दरारें पड़ गईं। अपुष्ट खबरों के अनुसार भूकम्प के कारण छह लोगों की मौत हुई है हालांकि सरकार ने दो लोगों की मौत की पुष्टि की है।

इस बीच पड़ोसी देश नेपाल में आठ दशकों के इस सबसे भीषण भूकम्प से काफी तबाही हुई है। नेपाल में भूकम्प में नौ लोगों की मौत हो गई और 100 से ज्यादा घायल हो गए। हजारों मकान व अन्य इमारतें ढह गई हैं। राजधानी काठमांडू में भारी तबाही हुई है। दीवारें ढहने से उनके नीचे आए तीन लोगों की मौत हो गई है जबकि भूकम्प आने से घबराकर घरों की खिड़कियां और बालकनी से बाहर कूदने की कोशिश में 50 से ज्यादा लोग घायल हो गए।

पुलिस ने सोमवार को बताया कि रविवार शाम आए भूकम्प के तुरंत बाद राजधानी के लेनचौर इलाके में भारतीय दूतावास के नजदीक ब्रिटिश दूतावास परिसर की नौ फुट ऊंची दीवार ढह गई। एक दुपहिया वाहन, एक कार और राहगीर इसकी चपेट में आ गए। इस घटना में घायल तीन लोगों को मनमोहन मेमोरियल अस्पताल में दाखिल कराया गया, जहां उनकी मौत हो गई।

पूर्वी सुनसारी जिले के धारन कस्बे में भारतीय व ब्रिटिश सेना के भर्ती केंद्र में नेपाल सेना से सम्बद्ध संतोष पेरियार और उसके सात वर्षीय भतीजे बिमल पेरियार की मौत हो गई। काठमांडू घाटी के भक्तापुर जिले में ईश्वर ग्यावाली ,धानकुटा जिले में 40 वर्षीया मधु कार्की, मेची शहर में आठ वर्षीया आयशा घिमिरे तथा संकुवासाभा जिले में प्रदीप राय की मौत हो गई।

राष्ट्रीय भूकम्प केंद्र का कहना है कि यह नेपाल में 1934 के बाद आया सबसे बड़ा भूकम्प था। साल 1934 में 8.4 तीव्रता का भूकम्प आया था, जिसमें 8,500 से ज्यादा लोग मारे गए थे।

इस भूकम्प के असर से तिब्बत में कम से कम सात लोगों की मौत हो गई और 22 अन्य घायल हो गए।

इस भूकम्प के महज 12 घंटे बाद सोमवार तड़के महाराष्ट्र में भूकम्प के झटके महसूस किए गए। भूकम्प की तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 3.9 मापी गई।

भूकम्प निगरानी केंद्र के एक अधिकारी ने बताया कि झटके सुबह 6.22 बजे के करीब महसूस किए गए। भूकम्प का केंद्र लातूर था। अपुष्ट खबरों में कुछ मकानों को मामूली नुकसान पहुंचने की बात कही गई है। अब तक कहीं से भी जान-माल की हानि की कोई खबर नहीं मिली है।

भूकम्प के झटके अन्य स्थानों के अलावा लातूर, उस्मानाबाद और सोलापुर जिलों में झटके महसूस किए गए।

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