वाशिंगटन ।। अमेरिका ने कहा है कि भारत में खुदरा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की अनुमति दिए जाने से दोनों देशों को फायदा पहुंचेगा लेकिन वह भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में इस मुद्दे पर जारी बहस का सम्मान करता है। 

गुरुवार को विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मार्क टोनर ने कहा, “हम मानते हैं कि यह भारत का घरेलू मामला है। हम इस मुद्दे पर एक सहमति बनाने के लिए भारत सरकार द्वारा समय देने के फैसले को समझते हैं। हम समझते हैं समझौते से दोनों देशों को लाभ पहुंचेगा।”

जब उनसे पूछा गया कि अमेरिका के खुदरा क्षेत्र के बड़े कारोबारी भारत सरकार के फैसले से दुनिया के दूसरे सबसे बड़े बाजार से दूर रह जाएंगे तो उन्होंने कहा, “भारत में अभी जिस तरह की बहस हो रही है ठीक उसी तरह अमेरिका की आर्थिक नीति पर भी बहस जारी है।” 

उन्होंने कहा, “यह अभी घरेलू बहस है। हम अपनी स्थिति को लेकर पूरी तरह से स्पष्ट हैं। यह दोनों देशों के लिए अच्छा है। हम चाहते हैं कि यह मुद्दा आगे बढ़े लेकिन हम चाहेंगे कि यह बहस भारत में निष्कर्ष तक पहुंचे।”

टोमर से जब बार-बार पूछा गया कि क्या इस फैसले से अमेरिका नाखुश नहीं है तो उन्होंने कहा, “मैं सोचता हूं कि यह अपने आप में एक प्रमाण है जब हम कहते हैं कि यह समझौता दोनों देशों के हित में है, जिसे हम एक बहुत बड़ा समझौता मानते हैं।”

उन्होंने कहा, “भारत सरकार को पता है कि इस मुद्दे पर हम कैसा महसूस कर रहे हैं।”

नागरिक परमाणु समझौते का हवाला देते हुए जब एक संवाददाता ने पूछा कि भारत अपने वादे का पूरा नहीं कर रहा है तो उन्होंने कहा, “ठीक है, मैं इसे पूरी तरह से वादे से मुकरना नहीं कहूंगा। देखिए, उनकी अपनी लोकतांत्रिक व्यवस्था है। लोकतंत्र ऐसे ही काम करता है।”

उन्होंने कहा, “इन बड़े राजनीतिक फैसलों को पुनरीक्षित करने और सहमति बनाना जरूरी होता है और इसके लिए राजनीतिक सहमति अपनानी होती है।”

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