संयुक्त राष्ट्र ।। लोगों की शिकायतों को दूर करने के लिए हथियारों के इस्तेमाल के बदले संवाद और बातचीत पर जोर देते हुए भारत ने कहा है कि वह मध्य पूर्व में उचित एवं व्यापक शांति हासिल करने के लिए अपनी भूमिका निभाने को तैयार है।

फिलीस्तीन के राष्ट्रपति महमूद अब्बास द्वारा संयुक्त राष्ट्र में पूर्ण सदस्यता के लिए आवेदन किए जाने के बाद विदेश राज्य मंत्री ई. अहमद ने सोमवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में मध्य पूर्व के हालात पर आयोजित एक बहस के दौरान कहा, “मध्य पूर्व के संघर्ष के इतिहास में फिलीस्तीन के मुद्दे ने स्पष्टरूप से एक निर्णायक मोड़ लिया है।”

अहमद ने कहा, “जहां इजरायल-फिलीस्तीन का विवाद क्षेत्र का एक सबसे गम्भीर विवाद है, वहीं हमें इस बात को भी ध्यान में रखने की आवश्यकता है कि केवल इस विवाद के समाधान से क्षेत्र में व्यापक और टिकाऊ शांति नहीं हासिल की जा सकती।”

अहमद ने कहा कि अरब जगत से सम्बंधित अन्य मुद्दे भी समानरूप से महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने कहा, “मध्य पूर्व शांति प्रक्रिया के लेबनानी और सीरियाई रास्ते क्षेत्र में व्यापक एवं टिकाऊ शांति के लिए आवश्यक हैं।”

अहमद ने कहा कि इस वर्ष फरवरी से लेकर अबतक मध्य पूर्व में घटे घटनाक्रम इस व्यापक शांति की तलाश फिर से शुरू करने की आवश्यकता को रेखांकित करते हैं। इसके साथ ही क्षेत्र के देशों को चाहिए कि वे अपने लोगों की उचित आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए समग्र राजनीतिक प्रक्रिया शुरू करें और सुधारों को लागू करें।

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