नई दिल्ली ।। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने बुधवार को विएतनाम के साथ देश की रणनीतिक साझेदारी को एशिया-प्रशांत क्षेत्र में शांति, स्थिरता और विकास का कारक बताया।

मनमोहन सिंह ने यह टिप्पणी भारत दौरे पर आए विएतनामी राष्ट्रपति त्रुआंग तान सांग के साथ संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में की। इसके पहले दोनों नेताओं ने शिष्टमंडल स्तर की वार्ता की। रणनीतिक विचारकों के बीच ऐसी चर्चा है कि दोनों देश चीन से मुकाबले के लिए करीब आ रहे हैं। सीमा विवाद को लेकर दोनों देशों के चीन के साथ सम्बंध तनावपूर्ण हैं।

सिंह ने कहा, “भारत-विएतनाम सम्बंध एशिया-प्रशांत क्षेत्र में शांति, स्थिरता और विकास के कारक हैं। यह सम्बंध अपनी खुद की योग्यताओं पर खड़े हैं। राष्ट्रपति महोदय के इस दौरे ने इस साझेदारी को एक नया बल और नई दिशा दी है।”

प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि भारत और विएतनाम इस क्षेत्र में समुद्री पड़ोसी हैं, और दोनों आतंकवाद, लूट और प्राकृतिक आपदाओं से सुरक्षा चुनौतियों का सामना कर रहे हैं।

सिंह ने कहा, “हमें सम्पर्क के प्रमुख समुद्री मार्गो की सुरक्षा सुनिश्चित कराने और भविष्य में इस क्षेत्र में आदान-प्रदान जारी रखने के लिए मिलकर काम करना है।”

यद्यपि मनमोहन सिंह ने दक्षिण चीन सागर के विएतनामी जल क्षेत्र में भारत के तेल अनुसंधान पर चीन की आपत्तियों का जिक्र नहीं किया, लेकिन समुद्री सुरक्षा का जिक्र, वह भी खासतौर से सम्पर्क के समुद्री मार्गो की सुरक्षा के संदर्भ में, भारत के इस रुख को दोहराता है कि दक्षिण चीन सागर या पूर्वी सागर (विएतनाम में यही नाम प्रचलित है) में नौ वहन की आजादी बरकरार रहनी चाहिए।

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