ढाका ।। भारतीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की बांग्लादेश यात्रा के दौरान तीस्ता नदी जल बंटवारे पर दोनों देशों के बीच कोई संधि होने की सम्भावना नहीं है लेकिन फिर भी इस दिशा में प्रयास जारी हैं। सिह मंगलवार को दो दिवसीय यात्रा पर ढाका पहुंच गए।

एक भारतीय शीर्ष अधिकारी ने बताया, “इस यात्रा के दौरान संधि पर हस्ताक्षर होने की सम्भावना नहीं है। हम अब भी कोशिश कर रहे हैं। हमारा विचार था कि दोनों देशों के बीच अंतरिम समझौता हो।”

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी सिंह के साथ बांग्लादेश की छह-सात सितम्बर की यात्रा पर ढाका पहुंचने वाली थीं लेकिन उन्होंने तीस्ता नदी जल बंटवारे पर अंतिम मसौदे के विरोध में इस यात्रा से इंकार कर दिया।

तीस्ता नदी सिक्किम से निकलती है और फिर उत्तरी बंगाल से होती हुई बांग्लादेश में प्रवेश करती है।

ममता के एक नजदीकी सूत्र ने कोलकाता में कहा था, “समझौते के शुरुआती मसौदे और अंतिम मसौदे में फर्क है। राज्य सरकार 25,000 क्यूसेक तक के जल बंटवारे के लिए सहमत थी लेकिन अंतिम मसौदे में 33,000-50,000 क्यूसेक जल बंटवारे की बात कही गई है।” सूत्र ने बताया कि ममता को लगता है कि यह अंतिम मसौदा पश्चिम बंगाल के हित में नहीं है।

भारतीय अधिकारी ने यहां कहा कि हमारा पहले एक अंतरिम संधि करने और फिर स्थायी समझौता करने का विचार था। उन्होंने कहा, “इसे पश्चिम बंगाल के साथ असहमति कहना बहुत कठोर होगा।” दोनों देशों के बीच फेनी नदी पर भी चर्चा होनी है।

फेनी त्रिपुरा की राजधानी अगरतला के दक्षिण में 135 किलोमीटर की दूरी पर बहती है। इस नदी पर 1934 से ही विवाद है। नदी का कुल जलग्रहण-क्षेत्र 1,147 वर्ग किलोमीटर है। इसमें से 535 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र भारत में और बाकी क्षेत्र बांग्लादेश में है।

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