नई दिल्ली ।। श्रीलंका की जेलों में बंद भारतीय कैदियों ने भारत सरकार की उपेक्षा से दुखी होकर तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जे.जयललिता से अपने प्रत्यर्पण के मामले में हस्तक्षेप करने की गुहार लगाई है।
इन 34 भारतीय कैदियों में 27 तमिलनाडु और सात केरल के हैं। इनके एक प्रवक्ता ने कहा कि उनका कहना है कि श्रीलंका और भारत के बीच जून में हुई बातचीत के बाद भी उन्हें नजरअंदाज किया जा रहा है।
एक कैदी ने आईएएनएस को फोन पर बताया कि पाकिस्तान और मालदीव के कैदी अपने-अपने वतन लौटने में कामयाब रहे लेकिन भारत सरकार हमारे प्रति बिल्कुल उदासीन दिखाई दे रही है।
कैदी ने कहा, “ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि हम केरल और तामिलनाडु से हैं और इसलिए दिल्ली में हमारी रिहाई को लेकर कोई दिलचस्पी नहीं दिखा रहा है। हां हमने अपराध किया है और इसलिए हम जेल में हैं। लेकिन यह ऐसी बात नहीं है जिसकी वजह से हमें भारत न लाया जा सके।”
कैदी ने कहा कि जून में श्रीलंकाई राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे की भारत यात्रा के दौरान दोनों देशों के कैदियों के प्रत्यर्पण को लेकर एक समझौता हुआ था।
कैदी ने कहा, “हम अपना पक्ष लेने के लिए नहीं कह रहे हैं और न ही हम अपनी स्वतंत्रता की मांग कर रहे हैं। हम केवल समझौते का पालन करने और हमें भारत की जेलों में रखने का आग्रह कर रहे हैं।”
उसने कहा कि हम भी इंसान हैं और इसलिए हम भी विशेष अवसरों पर अपने परिजनों को देखना चाहते हैं और यह तभी हो सकता है जब हम भारत में रहेंगे।
कैदी ने कहा, “तमिलनाडु की मुख्यमंत्री ही हमारी आखिरी उम्मीद हैं। भारत सरकार ने तो हमें नजरअंदाज ही कर दिया है। वह जिस तरह से भारतीय मछुआरों के बारे में बात करती हैं उसके बाद तो अब बस उन्हीं से ही उम्मीद है। हम चाहते हैं कि वे इस मामले में हस्तक्षेप करें।”