अहमदाबाद ।। अहमदाबाद सेशन्स कोर्ट ने सोमवार को निलंबित और गिरफ्तार आईपीएस संजीव भट्ट को जमानत दे दी है। सत्र न्यायाधीश वी के व्यास ने इस शर्त पर जमानत दी है कि भट्ट जांच में सहयोग करेंगे और जब बुलाया जाए तो अदालत में मौजूद होंगे।

गौरतलब है कि गुजरात सरकार की तरफ से निलंबित संजीव भट्ट की जमानत का विरोध किया जा रहा है। राज्य सरकार का तर्क है कि भट्ट आपराधिक साजिश में शामिल रहे हैं और वह जमानत का गलत इस्तेमाल कर सकते हैं।

गुजरात दंगों को लेकर मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी के खिलाफ मोर्चा खोलने वाले आईपीएस अफसर संजीव भट्ट पर एक कॉन्सटेबल को गैर-कानूनी ढंग से कब्जे में रखने और जबरन झूठा बयान दिलवाने के आरोप है।

अतिरिक्त जिला सत्र न्यायाधीश वी.के. व्यास ने गत 12 अक्टूबर को विशेष सरकारी वकील एसवी राजू तथा भट्ट के वकील इकबाल सैयद की दलीलों को सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रखा था।

राज्य सरकार के वरिष्ठ वकील राजू ने भट्ट की जमानत का विरोध करते हुए कहा कि उन्हें जमानत का हक नहीं है क्योंकि उनका आपराधिक इतिहास है और वह आदतन अपराधी है।

उन्होंने कहा कि गिरफ्तारी का मकसद उनके पास गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ 2002 के सांप्रदायिक दंगों के बाबत मौजूद कथित साक्ष्यों को कब्जे में लेना और नष्ट करना है।

सैयद ने यह दलील भी दी थी कि जिस शिकायत पर भट्ट को गिरफ्तार किया गया था वह झूठी थी और कुछ राजनेताओं तथा वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के कहने पर गुप्त इरादों से दाखिल की गयी थी।

सैयद ने कहा कि भट्ट पर आईपीसी की जिन धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया उनमें से अधिकतर जमानती हैं और उन्हें जमानत दी जानी चाहिए।

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