नई दिल्ली ।। जम्मू एवं कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला द्वारा बुधवार को सोशल नेटवर्किंग साइट ट्विटर पर संसद पर हमले के दोषी अफजल गुरु के सम्बंध में दिए गए एक बयान ने एक नया राजनीतिक विवाद पैदा कर दिया है। उनके इस बयान की भारतीय जनता पार्टी [भाजपा] ने कड़ी आलोचना की जबकि कांग्रेस ने चुप्पी साधे रखना ही मुनासिब समझा।

ट्विटर पर दिए अपने बयान में अब्दुल्ला ने कहा, “यदि जम्मू एवं कश्मीर विधानसभा तमिलनाडु की तरह अफजल गुरु के लिए एक प्रस्ताव पारित किया होता तो इस पर प्रतिक्रिया क्या इतने हल्के रूप में होती? मेरा मानना है कि ऐसा नहीं होता।”

वर्ष 2001 में संसद पर हुए हमले में दोषी कश्मीरी नागरिक अफजल गुरु को फांसी की सजा सुनाई गई है।

उमर ने दरअसल, तमिलनाडु विधानसभा द्वारा राजीव गांधी के हत्यारों पर सर्वसम्मति से लाए गए प्रस्ताव पर यह प्रतिक्रिया दी।

गांधी की हत्या की साजिश के लिए दोषी तीन व्यक्तियों को नौ सितम्बर को फांसी पर चढ़ाया जाना था लेकिन मद्रास उच्च न्यायालय ने मंगलवार को इस पर आठ सप्ताह की रोक लगा दी। तमिलनाडु विधानसभा में प्रस्ताव पारित कर राष्ट्रपति से तीनों दोषियों की क्षमा याचिकाओं पर दोबारा विचार करने के लिए कहा गया है।

उमर के इस बयान पर भाजपा ने तीखी टिप्पणी की। भाजपा प्रवक्ता शहनवाज हुसैन ने पत्रकारों से कहा, “उमर का बयान दुर्भाग्यपूर्ण है।”

हुसैन ने कहा, “यदि हुर्रियत नेताओं ने इस तरह का बयान दिया होता तो उसे समझा गया होता, लेकिन एक जिम्मेदार मुख्यमंत्री को इस तरह का बयान नहीं देना चाहिए।”

भाजपा नेता बलबीर पुंज ने उमर के बयान को ‘चौंकानेवाला, गैरजिम्मेदार और दुर्भाग्यपूर्ण बताया।’ जबकि भाजपा नेता रविशंकर प्रसाद ने कहा, “यदि कानून की प्रक्रिया में सर्वोच्च न्यायालय मौत की सजा देता है..और क्षमा याचिका खारिज कर दी जाती है तो मौत की सजा अवश्य दी जानी चाहिए।”

कांग्रेस ने हालांकि इस टिप्पणी करने से इंकार कर दिया और कहते हुए बच निकलने की कोशिश की, “हम कई बार यह स्पष्ट कर चुके हैं कि मौत की सजा के मामले एक संवैधानिक प्रक्रिया, एक कानूनी प्रक्रिया और एक प्रशासनिक प्रक्रिया से गुजरते हैं।”

सिंघवी ने कहा, “संवैधानिक प्रक्रिया चलती आई है और यह जारी रहेगी। इस पर टिप्पणी करने का कोई सवाल नहीं है।” उन्होंने जोर देकर कहा कि दूसरे नेता के बयान पर पार्टी टिप्पणी नहीं करेगी।

वहीं माकपा नेता सीताराम येचुरी ने कहा कि तमिलनाडु विधानसभा के प्रस्ताव ने ‘लोगों की आम राय को प्रदर्शित किया है।’ उन्होंने उम्मीद जताई कि न्यायालय के आदेश के बाद यह विवाद समाप्त हो जाएगा।

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