हरिद्वार ।। ‘गायत्री मंत्र’ का प्रचार-प्रसार करने वाले एक आध्यात्मिक संगठन के प्रमुख प्रणव पांड्या का आग्रह है कि आध्यात्मिक गुरु हर कीमत पर राजनीति से दूर रहें।

प्रणव पांड्या कहते हैं, “कारपोरेट जगत, सरकार व आध्यात्मिक गुरुओं के बीच बढ़ता गठजोड़ न केवल निंदनीय है बल्कि खतरनाक भी है।”

पांड्या ने आईएएनएस से एक साक्षात्कार में कहा, “यद्यपि आध्यात्मिक गुरुओं के राजनीति को प्रभावित करने या राजनीति का हिस्सा बनने की कोशिश के पीछे लोगों के जीवन में परिवर्तन लाने की उनकी इच्छा होती है लेकिन आध्यात्मिकता राजनीति से अलग एक रास्ता है।”

उन्होंने कहा, “हर आध्यात्मिक गुरु के दिमाग में यह बात होनी चाहिए। उन्हें राजनीति के प्रलोभन से प्रभावित नहीं होना चाहिए।”

उन्होंने कहा, “उन्हें इस तथ्य को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए कि राजनीतिक दल आध्यात्मिक गुरुओं का फायदा उठाते हैं, क्योंकि उनसे बहुत से लोग जुड़े होते हैं। इन राजनेताओं की निगाह उन वोटों पर होती है जो आध्यात्मिक गुरु उन्हें दिलवा सकते हैं।”

‘ऑल वर्ल्ड गायत्री परिवार’ के संस्थापक पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य की जन्मशती के अवसर पर छह से 10 नवंबर तक गायत्री महाकुम्भ का आयोजन किया जा रहा है। पांड्या ने इस मौके पर आईएएनएस से बात की।

‘गायत्री मंत्र’ हिंदू धर्म का सबसे पहला मंत्र है। ऐसा कहा जाता है कि इसके मंत्रोच्चारण से रुकावटें दूर होती हैं, बुद्धि बढ़ती है और आध्यात्मिक विकास होता है।

पांड्या का कहना है कि धार्मिक नेताओं की राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं के मामले सामने आना एक खतरनाक चलन का विकसित होना है।

उन्होंने कहा, “कारपोरेट व सरकार के बीच बढ़ता गठजोड़ और कारपोरेट व आध्यात्मिक गुरुओं के बीच गठजोड़ न केवल निंदनीय है बल्कि बहुत खतरनाक भी है।”

उन्होंने कहा, “जब एक बार आध्यात्मिक गुरु राजनीति में फंस जाते हैं तो उनका वापस लौटना मुश्किल है। वे इसमें और गहरे फंसते जाते हैं। राजनीति का कई लोगों पर सम्मोहन जैसा प्रभाव होता है।”

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