हैदराबाद ।। नक्सली नेता किशनजी के परिवार वालों ने सरकार से दरख्वास्त की है कि वह उन्हें किशनजी का शव सौंप दे क्योंकि वे उन्हें अंतिम बार देखना व उनका अंतिम संस्कार करना चाहते हैं। वैसे किशनजी के परिवार की उनसे तीन दशक से मुलाकात नहीं हुई थी। 

किशनजी की मां मधुरम्मा को जब अपने बेटे की मौत की सूचना मिली तो वह बुरी तरह टूट गईं। वह पुलिस की गोली से किशनजी के मारे जाने की घटना से सकते में हैं।

तेलंगाना क्षेत्र के करीम नगर जिले के पेडापल्ली स्थित किशनजी के घर में शोक का माहौल है। गुरुवार रात किशनजी के पश्चिम बंगाल के जंगलों में मारे जाने की खबर आने के बाद से रिश्तेदार व दोस्त उनके परिवार को सांत्वना देने के लिए पहुंच रहे हैं।

पुलिस के मुताबिक 55 वर्षीय किशनजी गुरुवार को पश्चिम बंगाल के पश्चिमी मिदनापुर जिले के बुरिशोल वन क्षेत्र में सुरक्षा बलों के साथ हुई मुठभेड़ में मारा गया था।

पारिवारिक सदस्यों ने बताया कि किशनजी डिग्री करने के दौरान भूमिगत हो गया था और तभी से वह परिवार से नहीं मिला।

किशनजी एम. वैंकटैया व मधुरम्मा का दूसरा बेटा था। उसका मूल नाम मलोजुला कोटेश्वर राव था। उसने करीमनगर के एक कॉलेज से विज्ञान विषय में स्नातक किया था।

साल 1974 में उस्मानिया विश्वविद्यालय से कानून की पढ़ाई करने के दौरान वह रेडिकल स्टूडेंट्स यूनियन में शामिल हो गया। चार साल बाद वह भूमिगत हो गया।

किशनजी के बड़े भाई अंजनेयुलु ने बताया, “वह कभी भी घर नहीं लौटा और हमसे उसका कोई सम्पर्क नहीं था। हमारा सरकार से अनुरोध है कि वह उसका शव हमें सौंप दे ताकी हम उसे अंतिम बार देख सकें और अपनी परम्पराओं के अनुसार उसका अंतिम संस्कार कर सकें।”

पीपल्स वॉर ग्रुप (पीडब्ल्यूजी)का संस्थापक कोंडापल्ली सीतारमैया किशनजी से प्रभावित था और उसने उसे पीडब्ल्यूजी का राज्य सचिव बना दिया था। किशनजी का जन्म 10 अक्टूबर, 1953 को एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था।

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