हैदराबाद ।। आंध्र प्रदेश के करीमनगर जिले के पेडापल्ली कस्बे में लोगों ने शीर्ष नक्सली नेता किशनजी के मारे जाने के विरोध में शनिवार को बंद रखा। किशनजी इसी कस्बे का निवासी था।
हैदराबाद से लगभग 200 किलोमीटर दूर स्थित इस कस्बे के लोगों ने किशनजी के मारे जाने के शोक में स्वेच्छा से बंद रखा। किशनजी को पश्चिम बंगाल के मिदनापुर जिले के जंगल में गुरुवार को एक मुठभेड़ में मार डाला गया था।
दुकानें, व्यापारिक प्रतिष्ठान, और निजी शिक्षण संस्थान बंद रहे।
प्रतिबंधित भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) में तीसरे नम्बर का नेता किशनजी पेडापल्ली में ही पैदा हुआ था और नक्सली आंदोलन से जुड़ने के लिए 35 वर्ष पहले ही घर छोड़ दिया था।
नक्सली विचारक और प्रमुख रणनीतिकार किशनजी कानून की पढ़ाई करते समय ही भूमिगत हो गया था और उसके बाद उसने अपने कस्बे या परिवार की तरफ कभी नहीं झांका।
स्थानीय लोगों और विभिन्न संगठनों के नेताओं ने शनिवार को किशनजी के भाई अंजानेयुलू के घर जाकर शोक संवेदना व्यक्त की।
पश्चिम बंगाल के पत्रकारों का एक दल भी किशनजी की मां, भाई और अन्य रिश्तेदारों का साक्षात्कार लेने पेडापल्ली पहुंचा। स्थानीय पुलिस ने सभी पत्रकारों के बारे में जानकारी जुटाई।
किशनजी के परिवार के कुछ सदस्य नक्सली नेता का शव लेने पश्चिम बंगाल गए हुए हैं। सम्भवत: शव शनिवार रात हैदराबाद पहुंच जाएगा। परिवार की योजना है कि शव को टैंक बंड में रखा जाएगा, ताकि नक्सलियों से सहानुभूति रखने वाले अपनी अंतिम श्रद्धांजलि अर्पित कर सकें। उसके बाद शव को सड़क मार्ग से पेडापल्ली ले जाया जाएगा, जहां सम्भवत: रविवार को अंतिम संस्कार होगा।