कोलकाता ।। पश्चिम बंगाल पुलिस के अपराध जांच विभाग (सीआईडी) ने शनिवार को उन आरोपों की जांच शुरू कर दी, जिनमें कहा गया है कि नक्सली नेता एम. कोटेश्वर राव उर्फ किशनजी को सुरक्षा बलों ने फर्जी मुठभेड़ में मारा था।
सीआईडी के उपमहानिरीक्षक के.जयरामन ने आईएएनएस से कहा, “जी हां, एक जांच शुरू की गई है। जब भी कोई बड़ा अपराधी मारा जाता है, इस तरह के आरोप सामने आते हैं। इसलिए हम आरोपों के पीछे की सच्चाई का पता करने के लिए हर कोणों से जांच करेंगे।”
क्रांतिकारी तेलुगू कवि और नक्सलियों से सहानुभूति रखने वाले पी. वरवर राव ने आरोप लगाया है कि शीर्ष नक्सली नेता किशनजी को पश्चिम बंगाल में पुलिस हिरासत में यातना दी गई और उसके बाद पश्चिम मिदनापुर के जंगल में गुरुवार को फर्जी मुठभेड़ में उसे मार डाला गया।
राव ने आरोप लगाया, “उसे गुरुवार से एक दिन पहले ही पकड़ लिया गया था। उन्होंने उसे काटा, जलाया, और उसके बाद उसे गोलियों से भून दिया। उसके शरीर का कोई हिस्सा ऐसा नहीं है, जहां जख्म न हो। उन्होंने उसे 24 घंटे तक हिरासत में रखा और उसे यातना दी।”
किशनजी की भतीजी दीपा राव ने भी वरवर राव के सुर में सुर मिलाया है। दीपा, वरवर राव के साथ अपने चाचा का शव पहचानने और पोस्टमार्टम के बाद उसे अंतिम संस्कार के लिए आंध्र प्रदेश के करीमनगर जिले में पेडापल्ली स्थित अपने घर ले जाने के लिए पश्चिम मिदनापुर के मिदनापुर मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पीटल आई हुई थीं।
फर्जी मुठभेड़ में अपने नेता की हत्या किए जाने के विरोधस्वरूप नक्सलियों ने 48 घंटे के बंद का आह्वान किया है।
समाजवादी पार्टी (सपा) के नेता मोहन सिंह ने भी आरोप लगाया है कि मुठभेड़ असली नहीं थी। सिंह ने शनिवार को कहा, “जिस तरह से किशनजी के मारे जाने की खबर सामने आई है, ऐसा नहीं लगता कि किशनजी किसी मुठभेड़ में मारा गया.. यह एक फर्जी मुठभेड़ है।”
सुरक्षा एजेंसियों ने हालांकि कहा कि किशनजी पश्चिम मिदनापुर जिले के बुरीशोल गांव में गुरुवार अपराह्न् में हुई एक मुठभेड़ में मारा गया।