अगरतला ।।  भले ही शुक्रवार तड़के कोलकाता के एएमआरआई अस्पताल में लगी आग शांत हो गई हो लेकिन इस अस्पताल में भर्ती त्रिपुरा के संतोष दास के परिजनों की तलाश अभी खत्म नहीं हुई है। 

अभी भी संतोष का छोटा भाई पारितोष अपने भाई की तलाश में शहर के गलियों की खाक छान रहा है। बुजुर्ग माता-पिता खाना पीना छोड़कर अपने पुत्र की राह देख रहे हैं।

त्रिपुरा में 30 नवम्बर को सड़क दुर्घटना में संतोष का पैर टूट गया। इस वजह से उसे इलाज के लिए कोलकाता लाया गया।

अगरतला हवाई अड्डे के समीप स्थित अपने घर पर संतोष के पिता अविनाश ने रोते हुए आईएएनएस से कहा, “हमने अपने जीवन की जमा पूंजी जोड़कर संतोष को एक दिसम्बर को एएमआरआई अस्पताल में भर्ती कराया। उसके पैर का 5 दिसम्बर को ऑपरेशन हुआ।”

उन्होंने बताया कि संतोष के इलाज के लिए स्थानीय लोगों एवं संस्थाओं ने आर्थिक सहायता दी थी।

पारितोष ने आईएएनएस से कहा कि वह पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री ममता बनर्जी एवं लेक पुलिस स्टेशन के अधिकारियों से मिल चुके हैं। उन्होंने कहा कि इसके अलावा वह कोलकाता पुलिस मुख्यालय और 21 से अधिक अस्पतालों के चक्कर काट चुके हैं।

रुं धे हुए स्वर में पारितोष ने कहा, “शुक्रवार तड़के जब आग लगी तो मैंने दूसरी मंजिल पर पहुंचने की कोशिश की जहां दादा (संतोष) सो रहे थे। लेकिन सुरक्षा कर्मियों द्वारा मुझे रोक दिया गया। मैं अपने भाई की जान बचा सकता था।”

संतोष के चाचा सुकुमार दास ने कहा, “संतोष के परिजनों के पास खुद को सहारा देने के लिए कुछ नहीं है। उसके इलाज पर उनके जीवन की जमा पूंजी 1.45 लाख रुपये खर्च हो गए।”

अग्निकांड के बाद कोलकाता में मौजूद त्रिपुरा के स्वास्थ्य मंत्री तपन चक्रवर्ती ने कहा, “कोलकाता स्थित त्रिपुरा भवन के अधिकारी संतोष की खोज के लिए स्थानीय पुलिस के साथ लगातार सम्पर्क में हैं।”

इस अग्निकांड में त्रिपुरा के छह मरीजों की मौत हो गई थी, जिसमें दो महिलाएं हैं। मृतकों में त्रिपुरा के एक मंत्री का रिश्तेदार भी शामिल है।

 

Rate this post

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here