चेन्नई ।। तमिलनाडु में कुडनकुलम परमाणु बिजली परियोजना को बंद करने की मांग को लेकर मंगलवार को फिर से प्रदर्शन शुरू हो गया। इस बीच, प्रदर्शनकारियों को मुख्यमंत्री जे. जयललिता के समर्थन से और बल मिला। उन्होंने कहा कि लोगों की चिंताओं का समाधान किए बगैर यहां काम नहीं होना चाहिए।

जयललिता ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार इस समस्या का आरोप राज्य पर थोपना चाहती है। इस सम्बंध में उन्होंने प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री वी. नारायणसामी के उस बयान का जिक्र किया, जिसमें उन्होंने कहा है कि केंद्र सरकार की ओर से गठित की जाने वाली विशेषज्ञों की समिति के लिए तमिलनाडु सरकार ने अब तक नामों की सूची नहीं भेजी है।

तमिलनाडु की मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार अपने इस रुख पर कायम है कि परियोजना को लेकर लोगों की चिंताओं का समाधान किया जाना चाहिए और तब तक वहां काम रोक दिया जाना चाहिए।

उन्होंने कहा कि चूंकि केंद्र सरकार ने स्थानीय लोगों की चिंताओं का समाधान नहीं किया, इसलिए लोगों ने विरोध शुरू कर दिया। जयललिता ने केंद्र से राज्य सरकार पर आरोप लगाने के बजाय समस्या के समाधान के लिए आवश्यक कदम उठाने की अपील की।

उन्होंने कहा कि केवल केंद्र सरकार और न्यूक्लियर पावर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (एनपीसीआईएल) को परियोजना की सुरक्षा से सम्बंधित पहलुओं की पूरी जानकारी थी और यह केंद्र की जिम्मेदारी थी कि वह इसे लेकर लोगों की चिंताओं का समाधान करे।

उन्होंने कथित रूप से अपने नाम लिखे गए पत्र को उन्हें भेजे जाने से पहले मीडिया में जारी करने के लिए प्रधानमंत्री की भी आलोचना की।

उधर, जयललिता के इस बयान से प्रदर्शनकारियों को बल मिला है। उनका समर्थन करते हुए पीपुल्स राइट्स मूवमेंट के समन्वयक एस. शिवसुब्रमण्यम ने आईएएनएस से कहा, “.. अपनी मांग को लेकर वह (जयललिता) सही हैं। हम जानते हैं कि एसपीसीआईएल संयंत्र परिसर में मौजूद कर्मचारियों के सहारे निर्माण कार्य आगे बढ़ा रहा है।”

उन्होंने परिसर को खाली कराने और इसे केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) की निगरानी में रखने की मांग की।

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