चेन्नई ।। कुडनकुलम परमाणु विद्युत परियोजना (केएनपीपी) के खिलाफ आंदोलन कर रहे कार्यकर्ताओं ने प्रस्तावित विशेषज्ञ समिति के लिए दो नाम सुझाए हैं, साथ ही मांगों की एक सूची भी सौंपी है, जिसमें बातचीत में हिस्सा लेने से पहले श्वेत पत्र लाने और परियोजना के सभी कार्य बंद करने जैसी मांगें शामिल हैं।
तमिलनाडु के तिरुनेलवेली जिले में 2,000 मेगावॉट की इस परियोजना के खिलाफ आंदोलन का नेतृत्व कर रहे संगठन, पीपुल्स मूवमेंट अगेंस्ट न्यूक्लियर एनर्जी ने राज्य सरकार की विशेषज्ञ समिति में जनता के प्रतिनिधि के रूप में एम. पुष्परायन और जेसुराज के नाम सुझाए हैं।
कोस्टल पीपुल्स फेडरेशन के संयोजक, एम. पुष्परायन ने आईएएनएस से कहा कि तमिलनाडु सरकार ने विशेषज्ञ समिति में शामिल करने के लिए दो व्यक्तियों के नाम सुझाने का अनुरोध किया था। उन्होंने कहा कि चूंकि उन लोगों को समिति के अधिकार, प्रतिनिधियों और अन्य सदस्यों की भूमिका तथा अन्य विवरणों के बारे में जानकारी नहीं है, लिहाजा उन्होंने कुछ शर्ते रखी हैं।
पुष्परायन ने कहा, “हम चाहते हैं कि परियोजना परिसर के अंदर हर तरह के कार्य बंद कर दिए जाएं, साथ ही परियोजन की स्थिति के बारे में एक श्वेत पत्र लाया जाए और प्रदर्शनकारियों के खिलाफ परमाणु लॉबी द्वारा की जाने वाले अपमानजनक टिप्पणियां बंद की जाएं।”
पुष्परायन ने कहा, “प्रदर्शनकारियों/जनप्रतिनिधियों के रूप में सिर्फ हमारे ही सदस्यों को समिति में शामिल किया जाना चाहिए, विधायकों/सांसदों को नहीं। और प्रदर्शनकारियों के खिलाफ पुलिस द्वारा दर्ज झूठे मामले वापस लिए जाने चाहिए।”
ज्ञात हो कि भारतीय परमाणु विद्युत निगम लिमिटेड(एनपीसीआईएल), कुडनकुलम में रूसी प्रौद्योगिकी के साथ 1,000 मेगावॉट के दो परमाणु विद्युत रिएक्टर स्थापित कर रहा है। पहली इकाई में दिसम्बर तक विद्युत उत्पादन शुरू होने की सम्भावना है। परियोजना पर लगभग 13,000 करोड़ रुपये लागत आने का अनुमान है।
जिन ग्रामीणों ने एक साल पहले एनपीसीआईएल के अधिकारियों का परियोजना स्थल पर पहुंचने पर फूल मालाओं से स्वागत किया था, उन्हीं ग्रामीणों के भीतर आज इस बात की आशंका पैदा हो गई है कि यदि कोई परमाणु दुर्घटना घटी तो उनका जीवन खतरे में पड़ जाएगा और क्षेत्रीय आबादी पर उसका दीर्घकालिक असर होगा।