नई दिल्ली ।। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने गुरुवार को कहा कि कुडनकुलन परमाणु ऊर्जा संयंत्र को लेकर जनता के बीच व्याप्त सुरक्षा सम्बंधी चिंताओं को सरकार गम्भीरता से ले रही है।

रूस रवाना होने से पहले यहां रूसी पत्रकारों के एक समूह से बातचीत के दौरान प्रधानमंत्री ने कहा, “कुडनकुलन में हो रहा विरोध प्रदर्शन परमाणु ऊर्जा की सुरक्षा के सम्बंध में वहां के लोगों की चिंताओं को दर्शाता है।लोग इस बात को लेकर भी चिंतित हैं कि ऐसे संयंत्रों से उनकी आजीविका और पर्यावरण प्रभावित न हो।”

उन्होंने कहा, “सरकार इन चिंताओं को गम्भीरता से ले रही है। स्थानीय लोगों की वैध और जायज चिंताओं और भय को दूर करने के लिए सरकार ने विशेषज्ञों का स्वतंत्र समूह बनाया है।”

उल्लेखनीय है कि मनमोहन सिंह शनिवार तक मास्को में रहेंगे जहां उनकी रूसी राष्ट्रपति दमित्रि मेदवेदेव के साथ शिखर बैठक होगी।

इस दौरान दोनों देशों के बीच रक्षा, स्वास्थ्य और विज्ञान तथा तकनीक के क्षेत्रों में कई अहम समझौतों पर हस्ताक्षर होंगे। इसके अलावा परमाणु ऊर्जा और हाइड्रो कार्बन क्षेत्र के समझौतों पर भी चर्चा होगी।

प्रधनमंत्री तमिलनाडु में कुडनकुलन परमाणु संयंत्र की तीसरी व चौथी इकाई की स्थापना से सम्बद्ध समझौते के बारे में भी मेदवेदेव से चर्चा करेंगे। जहां के ग्रामीण पिछले 10 महीनों से पहली दो इकाइयों के खिलाफ आंदोलरत हैं। जापान के फुकुशिमा परमाणु संयंत्र में इस साल के आरम्भ में हुई त्रासदी के बाद से यहां के लोग इस संयंत्र के विरोध में हैं।

मनमोहन सिंह ने कहा कि अगर भारत अपने यहां परमाणु ऊर्जा का विकास करता है तो इसके लिए लोगों का सहयोग अनिवार्य है। उन्होंने कहा, “मैं जानता हूं कि रूसी नेतृत्व की भी यही प्राथमिकता है और इस दिशा में उसने कई कदम उठाए हैं।”

उन्होंने उम्मीद जताई कि दोनों देशों के बीच परमाणु क्षेत्र में सहयोग जारी रहेगा। उन्होंने वादा किया कि भारत अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा करेगा।

बकौल प्रधानमंत्री, “भारत ने रूस को हमेशा से अपना सहयोगी माना है, जो कठिन दौर में भी हमारे साथ रहा है। यहां तक कि जब भारत पर परमाणु प्रतिबंध लगे थे, उस समय भी। कुडनकुलम परियोजना पर हमारे साथ काम करने वाले सभी रूसी विशेषज्ञों को हम धन्यवाद देते हैं।”

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