नागपुर/नई दिल्ली ।। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी 11 अक्टूबर से जयप्रकाश जयंती के दिन अपनी रथयात्रा तो निकालेंगे लेकिन वह जिस रथ पर सवार होंगे वह उन्हें प्रधानमंत्री की कुर्सी की दावेदारी से दूर ले जा सकता है। खुद आडवाणी ने बुधवार को इसके संकेत दिए।

 दरअसल, आडवाणी अपनी प्रस्तावित यात्रा के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) का आशीर्वाद लेने नागपुर स्थित संघ मुख्यालय पहुंचे थे। यात्रा के लिए संघ का समर्थन और आशीर्वाद तो उन्हें मिल गया लेकिन वहां से निकलते ही आडवाणी ने यह संकेत दे दिया कि वह अगले आम चुनाव में पार्टी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार की दावेदारी में नहीं हैं।

भ्रष्टाचार के खिलाफ प्रस्तावित देशव्यापी रथ यात्रा के सिलसिले में 83 वर्षीय आडवाणी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत से चर्चा करने नागपुर पहुंचे थे। आडवाणी ने कहा कि इस यात्रा के लिए उन्हें आरएसएस का पूरा समर्थन और आशीर्वाद प्राप्त है।

संघ मुख्यालय में सर संघचालक से मुलाकात करने के बाद आडवाणी पत्रकारों के सवालों का जवाब दे रहे थे। उनसे जब पूछा गया कि क्या वह 2014 में पार्टी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार होंगे तो इसका जवाब हां या ना में न देकर उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी से उन्हें जो मिला वह प्रधानमंत्री पद से कहीं ज्यादा है।

बकौल आडवाणी, “मैं सबसे पहले आरएसएस का स्वयंसेवक बना। इसके बाद जन संघ और फिर भाजपा का सदस्य। मैं महसूस करता हूं कि इन संस्थानों से, मेरे सहयोगियों से और देश से मुझे जो मिला, वह प्रधानमंत्री पद की उम्मीदवारी से कहीं ज्यादा है।”

उन्होंने कहा कि ‘वोट के बदले नोट’ मामले में हुई गिरफ्तारियों के बाद उन्होंने भ्रष्टाचार के खिलाफ देशव्यापी यात्रा करने का निर्णय लिया है और इसी सिलसिले में संघ प्रमुख और पार्टी अध्यक्ष नितिन गडकरी से मुलाकात करने वह यहां आए हैं।

आडवाणी ने कहा कि भागवत ने उनकी रथ यात्रा को पूरा समर्थन देने की बात कही है। आडवाणी के मुताबिक संघ प्रमुख ने यह भी कहा कि उन्होंने संघ के स्वयंसेवकों से कहा कि वे रथ यात्रा की सफलता के लिए काम करें।

जब उनसे पूछा गया कि इससे पहले आपने कई यात्राएं की हैं तो क्या उस समय भी आपने संघ से आशीर्वाद लिया था तो उन्होंने कहा, “यात्रा को सफल बनाने के लिए जिन लोगों से समर्थन की जरूरत पड़ी उनसे सहयोग लिया गया। संघ से अक्सर औपचारिक व अनौपचारिक तौर पर बातचीत होती रहती है।”

यह पूछे जाने पर कि संघ आपकी यात्रा के समर्थन में नहीं था, इसके जवाब में आडवाणी ने कहा, “रिपोर्टर जानते होंगे।”

आगे जब उनसे यह पूछा गया कि क्या संघ चाहता था कि वह बिल्कुल स्पष्ट कर दें कि वह प्रधानमंत्री पद की उम्मीदवारी की दौड़ में नहीं हैं, उन्होंने कहा, “ऐसी खबरें हैं।”

प्रस्तावित यात्रा के बारे में आडवाणी ने कहा कि उनकी रथ यात्रा सम्भवत: 11 अक्टूबर को जयप्रकाश जयंती के अवसर पर आरम्भ होगी। इसके पूरे कार्यक्रम की घोषणा खुद पार्टी अध्यक्ष नितिन गडकरी करेंगे। यात्रा संसद के आगामी शीतकालीन सत्र से पहले खत्म हो जाएगी।

आडवाणी के इस बयान के बारे में दिल्ली में जब संघ के वरिष्ठ पदाधिकारी राम माधव से पूछा गया तो उन्होंने कहा, “संघ ऐसे मामलों में दखल नहीं देता। यह भाजपा का मामला है और वह खुद तय करेगी कि उसका प्रधानमंत्री पद की उम्मीदवारी का दावेदार कौन होगा।”

‘वोट के लिए नोट’ मामले को स्वतंत्र भारत का सबसे बड़ा घोटाला करार देते हुए आडवाणी ने कहा, “संसद में ‘वोट के लिए नोट’ मामले के उजागर होने के समय मैं लोकसभा में विपक्ष का नेता था और इस मामले को उजागर करने के लिए मैंने ही अपने सांसदों को अनुमति दी थी, ऐसे में यदि ये पूर्व सांसद दोषी हैं तो उनसे बड़ा मैं दोषी हूं।” उन्होंने कहा कि उन्हें इस मामले को उजागर करने का यह तरीका उचित लगा था तभी उन्होंने अपने साथियों को इसकी अनुमति दी थी।

वर्ष 2008 में विश्वास मत प्रस्ताव के दौरान भाजपा के कुछ सांसदों ने लोकसभा में नोटों की गड्डियां लहराते हुए सरकार के पक्ष में वोट देने के लिए रिश्वत दिए जाने का आरोप लगाया था।

आडवाणी के इस संकेत पर कांग्रेस ने चुटकी लेने में देरी नहीं की। कांग्रेस इसे भाजपा में मची उथल-पुथल के रूप देख रही है।

कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा, “मैं नहीं समझता कि इस पर कोई प्रतिक्रिया देनी चाहिए। भाजपा में उथल-पुथल मच गई है। वहां भय का माहौल व्याप्त हो गया है।”

सिंघवी ने कहा कि भाजपा में पांच से सात ऐसे नेता हैं जो प्रधानमंत्री पद की उम्मीदवारी पाने की हसरत पाले हुए हैं। “जहां तक कांग्रेस की बात है तो फिलहाल प्रधानमंत्री पद के लिए कोई वेकेन्सी नहीं है।”

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