नई दिल्ली ।। संसद के शीतकालीन सत्र के पहले दिन मंगलवार को लोकसभा की कार्यवाही विपक्ष के हंगामे की भेंट चढ़ गई। केंद्रीय गृह मंत्री पी. चिदम्बरम विपक्षी दलों के निशाने पर थे। 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन में उनकी कथित भूमिका को लेकर विपक्षी दलों ने भारी हंगामा किया। उन्होंने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की शांति बनाए रखने की अपील भी अनसुनी कर दी और चिदम्बरम को लोकसभा में बोलने नहीं दिया।

सदन की कार्यवाही शुरू होने के बाद अध्यक्ष मीरा कुमार ने दिवंगत सदस्यों को श्रद्धांजलि दी। इसके बाद हिसार संसदीय सीट से नवनिर्वाचित सांसद कुलदीप विश्नोई ने शपथ ली। लेकिन जैसे ही प्रश्नकाल शुरू हुआ, विपक्षी दलों के सदस्यों ने नारेबाजी शुरू कर दी।

प्रश्नकाल के दौरान पहले सवाल का जवाब चिदम्बरम को देना था। लेकिन भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) ने उनके बहिष्कार का फैसला कर रखा था।

जैसे ही चिदम्बरम नक्सल हिंसा से सम्बंधित प्रश्न का लिखित उत्तर देने के लिए अपनी सीट पर खड़े हुए, भाजपा के सदस्य नारेबाजी करने लगे। विपक्ष पर कोई प्रतिक्रिया व्यक्त किए बगैर वह अपनी सीट पर बैठक गए।

संसद के दोनों सदनों की कार्यवाही शुरू होने से पहले प्रधानमंत्री ने विपक्षी सदस्यों से शांति बनाए रखने की अपील की थी। उन्होंने कहा था, “मुझे उम्मीद है सभी राजनीतिक दल इस बात को समझेंगे कि कुछ बहुत महत्वपूर्ण विधेयकों को इस सत्र में पेश किया जाना है और देश के निरंतर विकास तथा समृद्धि के लिए इन विधेयकों को कानून बनाया जाना चाहिए।”

वहीं, चिदम्बरम ने विपक्ष की रणनीति पर कोई भी टिप्पणी करने से इंकार कर दिया और संसद भवन से बाहर निकल गए।

लोकसभा में विपक्ष के हंगामे की वजह केवल चिदम्बरम नहीं थे। विपक्षी सदस्यों ने उत्तर प्रदेश के विभाजन, अलग तेलंगाना राज्य की मांग और मूल्य वृद्धि के मुद्दे को भी उठाया।

भारी हंगामे के बीच लोकसभा की कार्यवाही पहले दोपहर 12 बजे तक के लिए और फिर पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी गई।

वहीं, राज्यसभा में दो दिवंगत सदस्यों को श्रद्धांजलि देने के बाद कार्यवाही स्थगित कर दी गई।

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