नई दिल्ली ।। दिल्ली जामा मस्जिद के शाही इमाम सैय्यद अहमद बुखारी ने मुसलमानों से अपील की है कि “वे अन्ना के आंदोलन से दूर रहें। बुखारी ने कहा है कि अन्ना का आंदोलन इस्लाम विरोधी है, क्योंकि इसमें वंदे मातरम् और भारत माता की जय जैसे नारे लगाए जा रहे हैं।”

इससे पहले रविवार को देश की प्रमुख इस्लामी शिक्षण संस्था दारुल उलूम देवबंद ने गांधीवादी अन्ना हजारे के भ्रष्टाचार विरोधी मुहिम के साथ होने का दावा किया था। उधर, दिल्ली की फतेहपुरी मस्जिद के शाही इमाम मुफ्ती मुकर्रम अहमद ने अन्ना के आंदोलन का समर्थन किया है।

बुखारी ने कहा कि “इस्लाम मातृभूमि और देश की पूजा में विश्वास नहीं रखता है। यह उस मां की पूजा को भी सही नहीं ठहराता, जिसके गर्भ में बच्चे का विकास होता है। ऐसे में मुसलमान इस आंदोलन से कैसे जुड़ सकते हैं, जो इस्लाम के मूल सिद्धांतों के खिलाफ है।” इसीलिए मैंने मुसलमानों को इस आंदोलन से दूर रहने के लिए कहा है। बुखारी के इस आह्वान के बाद वंदे मातरम् पर विवाद एक बार फिर उठ खड़ा हुआ है।

हालांकि इस आंदोलन से प्रशांत भूषण और शांति भूषण जैसे शख्स जुड़े हैं, जिन्होंने गुजरात दंगे के मामले पर नरेंद्र मोदी का काफी विरोध किया था। फिर भी शाही इमाम इस आंदोलन की आलोचना कर रहे हैं। उनका कहना है कि देश के लिए भ्रष्टाचार से बड़ा मुद्दा सांप्रदायिकता है और देश को इससे कहीं ज्यादा खतरा है।

उन्होंने कहा कि “अगर अन्ना इस आंदोलन में सांप्रदायिकता को भी मु्द्दा बनाते हैं, तो मैं इस बारे में आश्वस्त हो सकता हूं। बुखारी ने अन्ना के आंदोलन को मिल रहे फंड के बारे में सवाल उठाया और आरोप लगाया कि अन्ना आरएसएस, वीएचपी और बीजेपी के साथ मिले हुए हैं और राजनीति कर रहे हैं।”

गौरतलब है कि देश की प्रमुख इस्लामी शिक्षण संस्था दारुल उलूम देवबंद ने रविवार को कहा था कि वह गांधीवादी अन्ना हजारे के भ्रष्टाचार विरोधी मुहिम के साथ हैं, लेकिन एक शिक्षण संस्थान के रूप में उनके आंदोलन का समर्थन नहीं कर सकती। दिल्ली की फतेहपुरी मस्जिद के शाही इमाम मुफ्ती मुकर्रम अहमद ने अन्ना का समर्थन किया है। ऑल इंडिया महिला मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की प्रमुख शाइस्ता अंबर ने भी कहा है कि उनका संगठन अन्ना के आंदोलन का समर्थन करता है।

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