नई दिल्ली ।। अन्ना प्रकरण को लेकर बढ़ रहे विपक्षी दबाव के आगे झुकते हुए आज संसद में सरकार की ओर से प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने पहले लोकसभा और बाद में राज्यसभा में भारी हंगामे के बीच बयान दिया। पीएम ने दोनों सदनों को आश्वस्त करते हुए कहा कि अब अन्ना और उनकी टीम के खिलाफ कल जैसा कुछ भी नहीं किया जाएगा। वैसे मीडिया और राजनीतिक में माना जा रहा था कि प्रधानमंत्री अन्ना के मुद्दे पर थोड़ा नरम रुख अपनाएंगे, लेकिन उन्होंने अन्ना के अपनी मांग मनवाने के तरीके पर कई सवाल खड़े किये।

डॉ. मनमोहन सिंह ने लोकसभा में कहा कि अन्ना की मांग सही है, पर उनका तरीका गलत है। अन्ना हजारे चाहते हैं कि संसद में उनके और उनके साथियों द्वारा तैयार बिल को पास किया जाय। पीएम ने कहा कि लोकपाल बिल संसद में पेश किया जा चुका है। बिल स्टैंडिंग कमिटी के पास चला गया है। इस पर अन्ना हजार ने अनिश्चितकालीन अनशन की घोषणा कर दी।

उन्होंने कहा कि अनशन के लिए अन्ना ने दिल्ली पुलिस से जगह की मांग की। जिस पर दिल्ली पुलिस ने उनको अनशन स्थल के लिए अंडरटेकिंग मांगी। अन्ना ने 6 शर्तों पर अंडरटेकिंग देने से इनकार कर दिया। वह बिना शर्त जेपी पार्क में अनशन पर अड़ गए। इसके बाद दिल्ली पुलिस ने जेपी पार्क में धारा 144 लगा दिया। जिसे अन्ना और उनके साथी तोड़ना चाहते थे। इसके बाद ही दिल्ली पुलिस ने कार्रवाई करते हुए अन्ना हजारे और उनके दोस्तों को गिरफ्तार किया।

जब प्रधानमंत्री बयान दे रहे थे, तो इस दौरान विपक्ष की ओर से कई बार टोटा-टाकी भी की गई।

प्रधानमंत्री के बयान के बाद जब विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज बोलने के लिए खड़ी हुईं, तब तक पीएम राज्यसभा में बयान देने के लोकसभा से निकल चुके थे। इस पर सुषमा स्वराज ने कड़ी आपत्ति जताई। इस पर संसदीय कार्य मंत्री पवन बंसल ने कहा कि उन्हें राज्यसभा में भी बयान देना है। ऐसे में नेता विपक्ष उन्हें दूसरे सदन में जाने से कैसे रोक सकती हैं ? बंसल के जवाब पर लाल कृष्ण आडवाणी और सुषमा स्वराज ने कड़ी आपत्ति जताई। इसी बीच सदन में भारी हंगामा शुरू हो गया, जिसके कारण सदन को कुछ देर के लिए स्थगित कर दिया गया।

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