नई दिल्ली ।। सरकार की ओर से प्रणव मुखर्जी ने जन लोकपाल बिल पर टीम अन्ना से बीते रात औपचारिक बातचीत की। इस बैठक में अन्ना की ओर से प्रशांत भूषण, अरविंद केजरीवाल और किरन बेदी ने हिस्सा लिया। लगभग ढाई घंटे तक चली इस बैठक में सरकार ने जन लोकपाल बिल को लेकर अपना पक्ष रखा।

बैठक के बाद रामलीला मैदान के मंच से केजरीवाल ने बताया कि तीन मुद्दों पर बात अटकी है। पहला, लोकपाल के दायरे में सरकारी कर्मचारियों को लाना। दूसरा, सारे राज्यों में एक साथ लोकायुक्त लाना और राज्य के कर्मचारियों को इसके दायरे में लाना। तीसरा, हर विभाग अपना एक सिटीजन चार्टर बनाए, जिसमें बताया जाए कि कौन अधिकारी कितने दिन में कौन-सा काम करेगा। ऐसा न करने पर उसकी सैलरी काटी जाए। इन मुद्दों पर गतिरोध बरकरार है।

इस बैठक में अन्ना की टीम की ओर से कहा गया कि अगर सरकार स्टैंडिंग कमिटी से अपना बिल वापस ले लेती है, तो अन्ना से अनशन खत्म करने की अपील की जा सकती है। प्रणव मुखर्जी ने भी जल्द किसी हल पर पहुंचने की उम्मीद जताते हुए अन्ना से अनशन खत्म करने की अपील की है।

ज्ञात हो कि पीएम को लोकपाल के दायरे में लाने पर, न्यायपालिका के लिए लोकपाल के साथ अलग कानून और भ्रष्टाचार के सभी मामलों की जांच सीबीआई के बदले लोकपाल के दायरे में लाने पर टीम अन्ना और सरकार में सहमति बन गई है।

सिविल सोसायटी ने यह साफ कर दिया है कि वे जन लोकपाल बिल पर समझौते को तैयार नहीं हैं। रामलीला मैदान पहुंचने के बाद उन्होंने जनता से अपने रुख पर मुहर भी लगवाई।

सरकार ने टीम अन्ना से बुधवार सुबह तक का समय मांगा है, ताकि किसी ठोस नतीजे पर पहुंचा जा सके।

टीम अन्ना ने साफ कर दिया है कि वह जन लोकपाल बिल के मूल मुद्दों पर कोई समझौता नहीं करेगा। जन लोकपाल बिल हर हाल में संसद के इसी सत्र में न सिर्फ पेश हो, उसे पास भी करा लिया जाए। इसके लिए संसद सत्र को कुछ दिनों के लिए बढ़ाया भी जा सकता है।

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