नई दिल्ली ।। केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा मंगलवार रात लोकपाल विधेयक को अपनी मंजूरी दिए जाने के बाद सरकार और वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे आमने-सामने आ गए हैं।

विधेयक के दायरे में प्रधानमंत्री को शामिल किया गया है लेकिन केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और निचली नौकरशाही को बाहर रखा गया है। सरकार के इस पहल पर नाराज अन्ना हजारे ने विधेयक को कमजोर बताकर खारिज किया है और 27 दिसम्बर से अपना अनशन शुरू करने के लिए कहा है।

पिछले समय में लोकपाल विधेयक पर बैठकों का कई दौर करने वाली प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता वाली केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मंगलवार रात विधयेक को मंजूरी दे दी। संसद भवन में यह बैठक दो घंटे तक चली।

विधेयक में प्रधानमंत्री को शर्तो के साथ शामिल किया गया है लेकिन इसके दायरे से निचली नौकरशाही और सीबीआई को बाहर रखा गया है।

विधेयक के पारित होने के बाद अन्ना हजारे ने इसे कमजोर बताया और सरकार पर आरोप लगाया कि उसकी नीयत साफ नहीं है। उन्होंने कहा कि एक प्रभावी लोकपाल विधेयक पाने के लिए अनशन के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं है।

अन्ना हजारे ने कहा, “केंद्र सरकार की नीयत साफ नहीं है। उनका मानना है कि वे अन्ना हजारे को धोखा दे रहे हैं लेकिन वास्तव में वह भ्रष्टाचार से निराश हो चुकी जनता के साथ धोखा कर रही है।”

उन्होंने कहा कि 30 से 31 दिसम्बर तक देश भर में जेल-भरो आंदोलन होगा।

अन्ना हजारे ने कहा कि वह अपनी अंतिम सांस तक जन लोकपाल विधेयक के लिए लड़ाई लड़ते रहेंगे।

वहीं, टीम अन्ना के प्रमुख सदस्य अरविंद केजरीवाल ने कहा कि सरकार सीबीआई को विधेयक से बाहर कर लोगों के साथ धोखा कर रही है।

चर्चा के लिए इस विधेयक को लोकसभा में शीतकालीन सत्र के अंतिम दिन 22 दिसम्बर को पेश किया जा सकता है। विधेयक पर चर्चा के लिए शीतकालीन सत्र का एक दिन बढ़ाया जा सकता है।

लोकसभा की कार्यमंत्रणा समिति बुधवार को इस मामले में अंतिम निर्णय लेगी।

विधेयक को लेकर हालांकि दो प्रस्ताव हैं – 22 एवं 23 दिसम्बर को लोकपाल विधेयक पर चर्चा की जाए अथवा शीतकालीन सत्र की विस्तारित अवधि 27 से 29 दिसम्बर के दौरान विधेयक पर चर्चा हो।

केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा मंजूर लोकपाल विधेयक की मुख्य बातें कुछ इस प्रकार हैं :

कुछ शर्तो के साथ प्रधानमंत्री विधेयक के दायरे में होंगे।

सीबीआई विधेयक के दायरे में नहीं होगी।

लोकपाल के पास जांच का अधिकार नहीं होगा लेकिन अभियोग के लिए उसके पास वकीलों की एक इकाई होगी।

लोकपाल नौ सदस्यों की एक संस्था होगी जिसके 50 प्रतिशत सदस्य पिछड़ी जाति, जनजाति एवं अन्य पिछड़ी जाति से होंगे।

लोकपाल का चयन एक समिति करेगी। समिति में प्रधानमंत्री, लोकसभा के अध्यक्ष, लोकसभा में प्रतिपक्ष के नेता और भारत के प्रधान न्यायाधीश अथवा उनके द्वारा नामांकित सदस्य होंगे।

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