नई दिल्ली ।। लोकपाल विधेयक का परीक्षण कर रही संसद की स्थायी समिति केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) एवं केंद्रीय सतर्कता आयोग की स्वायत्तता कायम रखने की सिफारिश कर सकती है लेकिन लोकपाल के दायरे में प्रधानमंत्री कार्यालय को लाए जाने को लेकर वह अभी भी बंटी हुई है। 

सूत्रों ने गुरुवार को बताया कि समिति लोकपाल के दायरे में समूह ए और बी के कर्मचारियों को लाए जाने और समूह सी और डी कर्मियों को इससे बाहर रखने की अनुशंसा कर सकती है। जबकि सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे और उनकी टीम समूह सी और डी के कर्मचारियों को लोकपाल के दायरे में रखने की मांग कर रही है।

ज्ञात हो कि इन मुद्दों पर आंतरिक बातचीत करने के लिए समिति ने गुरुवार को बैठक की।

इसके पहले सिंघवी ने आईएएनएस से कहा, “इस समिति से बीते पांच हफ्तों में बढ़िया काम की अपेक्षा रखना किसी चमत्कार की उम्मीद करने के सिवा कुछ नहीं है। हालांकि भविष्य के लिए निराश होने की जरूरत नहीं है। इसी तरह समिति के लिए समय निर्धारित करना भी समान रूप से गलत होगा।”

गौरतलब है कि कांग्रेस प्रवक्ता सिंघवी की अध्यक्षता में गठित इस समिति को संसद द्वारा 27 अगस्त को अन्ना हजारे को दिए गए उस आश्वासन को ध्यान में रखना है जिसमें कहा गया था कि लोकपाल विधेयक के मसौदे पर उनकी चिंताएं दूर की जाएंगी।

अन्ना हजारे ने यह चेतावनी भी दी है कि यदि संसद के शीतकालीन सत्र में लोकपाल विधेयक पारित नहीं कराया गया तो वह अगले वर्ष पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के खिलाफ प्रचार करेंगे।

स्थायी समिति को लोकपाल विधेयक के छह मसौदे प्राप्त हुए हैं। समिति टीम अन्ना के जन लोकपाल विधेयक तथा सूचना का जनाधिकार के लिए राष्ट्रीय अभियान का नेतृत्व करने वाली अरुणा राय के विधेयक सहित विभिन्न मसौदों पर विचार करेगी।

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