नई दिल्ली ।। भ्रष्टाचार के खिलाफ देशव्यापी मुहिम चलाने वाले समाज सेवी अन्ना हजारे की सहयोगी किरण बेदी ने मंगलवार को कहा कि लोकपाल विधेयक पर विचार-विमर्श कर रही संसदीय समिति को इसमें निचले स्तर के सरकारी कर्मचारियों को भी शामिल करना चाहिए, ताकि समाज से भ्रष्टाचार का खात्मा किया जा सके।

संवाददाताओं से बातचीत में बेदी ने कहा, “यदि विधेयक के दायरे में समूह ‘सी’ और ‘डी’ के कर्मचारियों को शामिल नहीं किया जाता है तो यह अधूरा रह जाएगा।”

कानून एवं व्यवस्था पर संसद की स्थाई समिति ने लोकपाल विधेयक के दायरे में समूह ‘बी’ के अधिकारियों को शामिल करने की सिफारिश की है। यह पहले सिर्फ समूह ‘ए’ के अधिकारियों को ही इसमें शामिल करने के पक्ष में थी।

पूर्व पुलिस अधिकारी बेदी ने कहा, “अन्ना हजारे मंत्री से लेकर चपरासी तक सभी सार्वजनिक अधिकारियों को लोकपाल के दायरे में लाने के पक्ष में हैं।”

एक बयान में टीम अन्ना ने कहा, “गरीब व्यक्ति अपने राशन के गबन की शिकायत कहां करेगा? हर साल करीब 30,000 करोड़ रुपये के राशन का गबन होता है और यह समूह ‘सी’ तथा ‘डी’ के अधिकारी करते हैं। मनीऑर्डर देने के बदले पोस्टमास्टर 10 प्रतिशत हिस्सा मांगता है, जो समूह ‘डी’ का कर्मचारी होता है। पोस्टमास्टर के भ्रष्टाचार का पीड़ित व्यक्ति अपनी शिकायत लेकर कहां जाएगा?”

बयान में यह भी कहा गया है, “न्यायाधीशों के भ्रष्टाचार को न्यायिक जवाबदेही विधेयक के दायरे से बाहर रखा गया है। उन्हें लोकपाल विधेयक के दायरे से भी बाहर रखने का प्रस्ताव है। ऐसे में उच्च न्यायालय अथवा सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों द्वारा किए जाने वाले भ्रष्टाचार की शिकायत लेकर लोग कहां जाएंगे?”

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