चेन्नई ।। मद्रास उच्च न्यायालय ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या का षड्यंत्र रचने के दोष में मृत्युदंड पाने वाले तीन अपराधियों की
फांसी की सजा पर मंगलवार को आठ सप्ताह के लिए अंतरिम रोक लगा दी है। उन्हें नौ सितम्बर को फांसी दी जानी थी।
तीनों दोषियों ने राष्ट्रपति प्रतिभा पाटील द्वारा 11 अगस्त को दया याचिका ठुकराए जाने के बाद सोमवार को मृत्युदंड की अपनी सजा को आजीवन कारावास में बदलने के लिए याचिका दायर की थी। अदालत में उनकी पैरवी वरिष्ठ वकील राम जेठमलानी कर रहे हैं।
मुरुगन उर्फ श्रीहरन, सनथन उर्फ सुथेंद्रराजा और ए. जी. पेरारिवलन उर्फ अरिवु की याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय उन्हें फांसी देने पर अंतरिम रोक लगा दी। अदालत ने इस मामले में केंद्र सरकार को भी नोटिस जारी किया है और आठ सप्ताह के भीतर जवाब मांगा है। ये तीनों लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (लिट्टे) से सम्बंधित है।
अदालत में सुनवाई के दौरान पेरारिवलन की ओर से राम जेठमलानी ने कहा कि राष्ट्रपति ने 11 साल बाद दया याचिका ठुकराई। इतनी देरी प्रथम दृष्टया गलत है। उन्होंने कहा कि इस देरी पर नोटिस जारी कर स्पष्टीकरण मांगा जाना चाहिए।
इससे पहले दया याचिकाओं के त्वरित निपटारे की अपील करते हुए राम जेठमलानी ने कहा था कि यदि इसमें दो साल की देरी होती है तो मृत्युदंड आजीवन कारावास में बदल जाएगा। यह प्रावधान बाद में बदल दिया गया।
एक महिला आत्मघाती हमलावर ने 21 मई, 1991 को श्रीपेरम्बदूर में एक चुनावी रैली के दौरान राजीव गांधी के निकट जाकर खुद को विस्फोट से उड़ा लिया था, जिसमें उनके साथ-साथ 14 अन्य लोगों की भी मौत हो गई थी। वह 1984 से 1989 तक देश के प्रधानमंत्री थे।
उधर, तमिलनाडु विधानसभा ने सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित कर राष्ट्रपति प्रतिभा पाटील से पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के हत्यारों की दया याचिका पर दोबारा विचार करने का अनुरोध किया। मुख्यमंत्री जयललिता ने विधानसभा में प्रस्ताव पेश करते हुए कहा, “मुख्यमंत्री के रूप में मैं या तमिलनाडु सरकार अथवा राज्यपाल मुरुगन उर्फ श्रीहरन, सनथन उर्फ सुथेंद्रराजा और ए. जी. पेरारिवलन उर्फ अरिवु की दया याचिकाओं की समीक्षा नहीं कर सकते।”
उन्होंने कहा कि राज्य के लोगों की चिंता और विभिन्न राजनीतिक दलों की अपील पर राज्य सरकार की ओर से यह प्रस्ताव लाया गया है। उन्होंने कहा कि सरकार राज्यपाल को यह प्रस्ताव भेजेगी।