इम्फाल ।। मणिपुर में भले ही 121 दिनों से चली आ रही आर्थिक नाकेबंदी खत्म हो गई हो लेकिन अभी तक इसके प्रभावों को झेल रहे स्थानीय निवासियों के गुस्से को शांत करने के लिए कुछ नहीं किया गया गया है।
स्थानीय लोगों का मानना है कि यह राहत अल्पकालिक ही है ‘युनाइटेड नागा काउंसिल’ (यूएनसी) ने सोमवार को नाकेबंदी हटाने का फैसला किया था। एक आक्रोशित स्थानीय नागरिक ने आईएएनएस को बताया, “नाकेबंदी उठाना सरकार की खिल्ली उड़ाना है क्योंकि दोनों विरोधी जनजातियां (नगा एवं कुकी) जब चाहें, तब सरकार को बंधक बना सकती है।”
उन्होंने कहा, “यह सरकार के गाल पर तमाचा है। नाकेबंदी हटाना एक तरह से हमें कुछ दिन और भोजन करने की अनुमति देना है और तब राजमार्गो को रोक कर हमें उससे दूर कर देंगे। यह इन उत्पाती गुटों को नियंत्रित करने में केंद्र एवं राज्य सरकार की विफलता है।”
नागरिक ने कहा कि बंद और कर्फ्यू हमारे जीवन का अंग हो गए हैं। नाकेबंदी के बाद इम्फाल में जनजीवन सामान्य हो ही रहा था कि बुधवार सुबह हुए बम विस्फोट ने संकेत दिए कि सब कुछ अभी ठीक नहीं हुआ है।
इम्फाल स्थित होटल के कर्मचारी नुआंग ने कहा, “देखो क्या घटित हो गया। नाकेबंदी हटी और बम विस्फोट हो गया। सरकार नागा एवं कुकी की सनक को बढ़ावा दे रही है।”
कुछ का मानना है कि नाकेबंदी उठाने की पीछे सरकारी दबाव नहीं है। वरिष्ठ पत्रकार प्रदीप फंजोबाम ने कहा, “अगर वे नाकेबंदी जारी रखते तो क्रिसमस के दौरान मणिपुर के नागा लोगों तक आवश्यक वस्तुएं नहीं पहुंच पाती और इससे नागा नेतृत्व के अलोकप्रिय होने का खतरा था।”
उन्होंने कहा कि क्रिसमस तक वे राजमार्गो पर गतिरोध उत्पन्न नहीं करेंगे। हालांकि राज्य सरकार के मंत्री ने नाकेबंदी हटने को अच्छा संकेत बताया है।
मंत्री ने पहचान छुपाने की शर्त पर आईएएनएस को बताया, “यद्यपि नागा एवं कुकी के मध्य विवाद की समस्या जटिल बनी हुई है। प्रतिबंध हटने से लोगों को राहत मिली है।”