अद्दू अतोल/नई दिल्ली ।। पाकिस्तान के साथ बढ़ते विश्वास के बीच भारत ने दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों के बीच मालदीव में होने वाली बैठक से एक दिन पहले बुधवार को द्विपक्षीय सम्बंधों में सकारात्मक प्रगति की उम्मीद जताई और 26/11 आतंकवादियों के त्वरित सुनवाई पर जोर दिया।

दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (दक्षेस) के शिखर सम्मेलन से इतर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह गुरुवार सुबह अद्दू अतोल के होटल शेंगरी ला में अपने पाकिस्तानी समकक्ष यूसुफ रजा गिलानी के साथ वार्ता करेंगे।

मनमोहन सिंह बुधवार अपराह्न् दक्षेस शिखर सम्मेलन के स्थल अद्दू अतोल पहुंचे। प्रधानमंत्री चार दिनों की अपनी यात्रा पर मालदीव पहुंचे हैं। यह सम्मेलन भूमध्य रेखा के दक्षिण में पहली बार आयोजित हो रहा है।

मनमोहन सिंह का गण द्वीप हवाईअड्डे पर जोरदार स्वागत किया गया। मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद ने मनमोहन सिंह की अगवानी की।

मनमोहन सिंह अपनी यात्रा के दौरान दक्षिण एशियाई सभी नेताओं के साथ द्विपक्षीय बैठकें करेंगे लेकिन पाकिस्तानी प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी के साथ उनकी 30 मिनट की बैठक सर्वाधिक महत्वपूर्ण होगी। गिलानी के साथ बैठक में आतंकवाद और जम्मू एवं कश्मीर सहित सभी मुद्दे उठने की सम्भावना है।

उल्लेखनीय है कि दोनों प्रधानमंत्रियों के बीच यह बैठक दोनों देशों के बीच हाल में सुधरे रिश्ते के माहौल में होने जा रही है।

ज्ञात हो कि पिछले महीने भारतीय सेना का एक हेलीकॉप्टर भटककर पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में चला गया था। इस मामले में पाकिस्तान ने बिना देरी किए भारतीय हेलीकॉप्टर को बिना नुकसान पहुंचाए वापस आने दिया।

एक आधिकारिक सूत्र ने बताया कि गुरुवार की वार्ता में भारत वर्ष 2008 में मुम्बई में हुए आतंकवादी हमले के पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए पाकिस्तान पर दबाव बनाएगा लेकिन वार्ता में शांति प्रक्रिया को आगे बढ़ाने पर प्रमुखता से ध्यान दिया जाएगा।

अधिकारिक सूत्र ने बताया कि पाकिस्तान द्वारा भारत को सबसे तरजीही देश (एमएफएन) का दर्जा दिए जाने के बाद शांति प्रक्रिया को और आगे बढ़ाने का सकारात्मक माहौल बना है।

सूत्र के मुताबिक, “जहां तक हमारा सवाल है 26/11 का मामला शांत नहीं हुआ है।”

उल्लेखनीय है कि दोनों प्रधानमंत्रियों के बीच प्रस्तावित बैठक से पहले विदेश मंत्री एस.एम. कृष्णा ने अपनी पाकिस्तानी समकक्ष हिना रब्बानी खार से मुलाकात की। गण द्वीप में दोनों विदेश मंत्रियों के बीच यह बैठक करीब 30 मिनट तक चली जिसमें वार्ता की रूपरेखा पर चर्चा की गई।

बैठक में कृष्णा ने इस्लामाबाद द्वारा भारत को (एमएफएन) का दर्जा दिए जाने से द्विपक्षीय सम्बंधों में आई गरमाहट का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के साथ विश्वास में कमी दूर हो रही है, जिस पर खार ने हामी भरी।

कृष्णा ने खार से कहा कि पाकिस्तान को भारत के खिलाफ आतंकवादी गतिविधियां चलाने के लिए अपनी जमीन के इस्तेमाल की अनुमति नहीं देनी चाहिए। साथ ही उन्होंने खार से 26/11 हमले के दोषी आतंकवादियों की सुनवाई में तेजी लाने के लिए भी कहा।

इसके अलावा कृष्णा ने 26/11 के मुम्बई आतंकवादी हमले से जुड़े कुछ व्यक्तियों से पूछताछ करने के लिए भारत आने वाले एक पाकिस्तानी न्यायिक आयोग का भी स्वागत किया।

खार के साथ बैठक के बाद कृष्णा ने कहा, “पाकिस्तान के साथ होने वाली बातचीत की प्रक्रिया में आतंकवाद भारत का प्रमुख मुद्दा बना रहेगा। इसलिए हम जब कभी द्विपक्षीय मुद्दों पर चर्चा करते हैं तो हमारी बातचीत के केंद्र में निश्चित रूप से आतंकवाद और उसके विभिन्न रूप होते हैं।”

वहीं, खार ने भी बातचीत में सकारात्मक संदेश दिया।

उन्होंने कहा, “मैं सोचती हूं कि हम अपनी तरफ से यह निश्चित रूप से कह सकते हैं कि माहौल में महत्वपूर्ण सुधार हुआ है और पिछले कई वर्षो में दोनों देशों के बीच विश्वास में जो कमी थी, वह बड़े पैमाने पर दूर हुई है।”

पाकिस्तान के विदेश सचिव सलमान बशीर ने कहा, “भविष्य में दोनों देशों के बीच सम्पर्क बढ़ने और बैठकें होने की उम्मीद है।”

वहीं, नई दिल्ली में आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि मनमोहन सिंह और गिलानी अपनी वार्ता में सम्बधों को पूरे परिप्रेक्ष्य में रखेंगे और आपसी सम्बंध को कैसे और आगे बढ़ाया जाए इस पर चर्चा करेंगे।

सूत्रों ने कहा, “हमने महत्वपूर्ण प्रगति की है। दोनों देशों के बीच 26/11 और आतंकवाद जैसे बड़े मुद्दे हैं जिनसे विश्वास में कमी आई। इन मुद्दों पर विश्वास में कमी दूर करने के लिए हम सही दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।”

उधर भारत को एमएफएन का दर्जा दिए जाने पर इस्लामाबाद में विरोधाभासी बयानों के बीच सूत्रों ने कहा कि भारत के साथ व्यापार खोलने को लेकर पाकिस्तान के कारोबारी समुदाय में जबरदस्त उत्साह है।

वर्तमान में भारत और पाकिस्तान के बीच करीब 2.7 अरब डॉलर का व्यापार है। सूत्रों का कहना है कि भारत को एमएफएन का दर्जा देने से दोनों देशों के बीच व्यापार में अभूतपूर्व वृद्धि होगी।

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