अड्डू ।। मालदीव में गुरुवार को दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (दक्षेस) के 17वें सम्मेलन की शुरुआत होगी। सम्मेलन की शुरुआत से ठीक पहले भारत-पाकिस्तान संबंधों में सकारात्मक संकेतों के बीच मनमोहन सिंह द्विपक्षीय संबंधों को सामान्य बनाने की प्रक्रिया को तेज करने की दिशा में युसूफ रजा गिलानी से मुलाकात करेंगे।

दक्षेस सम्मेलन के अवसर पर सिंह-गिलानी वार्ता से पहले बुधवार को विदेश मंत्री एसएम कृष्णा और पाक विदेश मंत्री हिना रब्बानी खार ने तीन बार एक-दूसरे से मुलाकात की।

दोनों देशों के बीच अविश्वास में कमी आने का जिक्र करते हुए कृष्णा ने पाकिस्तान से अपनी जमीन आतंकवाद के लिए इस्तेमाल नहीं होने देने की अपील की। खार ने आश्वासन दिया कि उनके देश की जमीन आतंकवादी हमलों के लिए उपयोग नहीं होने दी जाएगी।

खार ने कहा कि पाकिस्तान भारत को सर्वोच्च वरीयता वाले देश (एमएफएन) का दर्जा देने के फैसले से पीछे नहीं हटेगा क्योंकि यह दोनों देशों के बीच संबंध को सामान्य बनाने का हिस्सा है।

उन्होंने कहा कि ‘‘भारत के साथ संबंध जटिल और पेचीदा हैं और हम चाहते हैं कि कल के बारे में हमारी सोच हमारे आज के कदम से तय हो, हम नहीं चाहते कि हमारा अतीत हमारे वर्तमान या भविष्य की बेड़ी बने।’’

माना जा रहा है कि दोनों प्रधानमंत्री विविध मुद्दों पर चर्चा करेंगे जिनमें मुम्बई हमले (26/11) के साजिशकर्ताओं पर कार्रवाई और भारत को एमएफएन का दर्जा देने के फैसले पर आगे बढ़ने की आवश्यकता शामिल है।

सत्रहवें दक्षेस सम्मेलन के उद्घाटन से पहले गुरुवार को होने वाली यह बैठक ऐसे समय में हो रही है, जब पाकिस्तान ने 16 साल बाद भारत को सर्वोच्च वरीयता वाले देश का दर्जा दिया है। भारत बहुत पहले ही पाकिस्तान को एमएफएन का दर्जा दे चुका है।

दोनों प्रधानमंत्रियों के बीच साल भर के अंदर दूसरी और डेढ़ साल के अंदर तीसरी बैठक है। मोहाली में वर्ल्ड कप क्रिक्रेट के दौरान दोनों नेताओं ने चर्चा की थी और उससे पहले पिछले साल भूटान में दक्षेस सम्मेलन के अवसर पर दोनों के बीच बातचीत हुई थी।

सूत्रों ने कहा कि गुरुवार को जब दोनों नेताओं के बीच बातचीत होगी तब सभी मुद्दों पर चर्चा होगी जिसमें मुम्बई हमले (26/11) के सूत्रधारों के खिलाफ कार्रवाई की भारत की मांग और इस संबंध में पाकिस्तान आयोग का लंबित भारत यात्रा भी शामिल है। हालांकि सूत्रों ने स्पष्ट किया है कि दोनों पक्ष एक दो मुद्दों पर चिपके नहीं रहेंगे और मुख्य रूप से विकास पर ध्यान केंद्रित करेंगे जिससे द्विपक्षीय संबंधों को आगे बढ़ाने में मदद मिले।

सूत्रों ने कहा कि भारत को एमएफएन का दर्जा देने के हाल के पाकिस्तानी फैसले से द्विपक्षीय व्यापार की बाधा दूर होगी और यह मौजूदा 2.7 अरब डालर से बढ़कर छह अरब डालर तक पहुंच जाएगा।

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