नई दिल्ली ।। गुजरात के पूर्व गृह राज्य मंत्री अमित शाह ने गुरुवार को वर्ष 2005 के सोहराबुद्दीन शेख फर्जी मुठभेड़ मामले में अपनी भूमिका से इंकार करते हुए सर्वोच्च न्यायालय से कहा कि हत्या में 13 पुलिसकर्मियों की संलिप्तता के ठोस साक्ष्य हैं।

न्यायमूर्ति आफताब आलम एवं न्यायमूर्ति आर.पी. देसाई की खंडपीठ को शाह ने बताया कि तत्कालीन पुलिस उपमहानिरीक्षक गीता जौहरी ने ईमानदारी से जांच की और गुजरात पुलिस के शीर्ष अधिकारियों के खिलाफ प्रथमदृष्टया मामला दर्ज करने के लिए ठोस सबूत जुटाए।

शाह की ओर से पेश वरिष्ठ वकील राम जेठमलानी ने न्यायालय के सवाल का नकारात्मक तरीके से जवाब दिया। न्यायालय ने पूछा कि क्या वह मानते हैं कि सोहराबुद्दीन मुठभेड़ ‘सही’ था।

न्यायालय ने पूछा, “यह आपका मामला नहीं है कि सोहराबुद्दीन शेख का मुठभेड़ सही था।”

ज्ञात हो कि शाह मामले में उन्हें जमानत देने वाले गुजरात उच्च न्यायालय के 29 अक्टूबर 2010 के आदेश को चुनौती देने वाली केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की याचिका का विरोध कर रहे हैं।

जेठमलानी ने न्यायालय से कहा कि शेख का फर्जी मुठभेड़ और उसके बाद उसकी पत्नी कौसर बी का लापता होना गैर कानूनी है। उन्होंने कहा, “कानून की दृष्टि में यह बुरा है। यह कानून के खिलाफ है लेकिन ऐसा एक आतंकवादी से छुटकारा पाने के लिए किया गया।”

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