अहमदाबाद ।। गुजरात के मुख्‍यमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने सद्भावना उपवास को सोमवार शाम करीब सवा छह बजे तोड़ दिया।

विभिन्न धर्मों के संतों और उलेमाओं ने मोदी को जूस पिलाकर उनका अनशन समाप्त कराया। इस अवसर पर भाजपा के कई गणमान्य नेता जैसे सुषमा स्वराज, वैंकैया नायडू, अरूण जेटली, रविशंकर प्रसाद, गोपीनाथ मुंडे, अर्जुन मुंडा, हेमा मालिनी आदि मौजूद रहे।

सद्भावना मिशन के तहत तीन दिनों का उपवास करने वाले गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को कहा कि उनका उपवास जरूर खत्म हो गया है लेकिन उनका मिशन आगे भी जारी रहेगा। उपवास पर उठाए जा रहे सवालों के जवाब में मोदी ने कहा कि उनके इस मिशन की प्रेरणा राष्ट्रनीति है, राजनीति नहीं।

विभिन्न धर्मो के संतों के हाथों नीबू पानी पीकर अपने तीन दिनों का उपवास खत्म करने के बाद जनसमूह को सम्बोधित करते हुए मोदी ने कहा, “आज मेरा उपवास खत्म हुआ है लेकिन यह सद्भावना मिशन नहीं। मैं सभी जिलों में जाऊंगा। एक-एक दिन सुबह से शाम तक उनके साथ बैठूंगा, वह भी दिन भर भूखे रहकर। सद्भावना मिशन के तीन दिनों के भाव को और शक्तिशाली बनाऊंगा।”

उन्होंने कहा, “एकता, शांति, भाईचारा की ताकत को मैंने महसूस किया है और इसे और ताकतवर बनाना मेरा सपना है।”

राष्ट्रनीति है प्रेरणा, राजनीति नहीं :-

मोदी ने कहा, “सिंहासन पर बैठने के सपने लेकर मैंने घर नहीं छोड़ा था। एक सपना लेकर घर छोड़ा था कि किसी दुखियारे के काम आ सकूं। ये जिंदगी देश के काम आ सके। यह तन-मन अपने लिए नहीं है, औरों के लिए हैं।”

उन्होंने कहा, “यह राजनीति से नहीं होता है। यह जनता जनार्दन की भक्ति से होता है। हर चीज को राजनीति के चश्मे से देखने और राजनीतिक की तराजू से तौलने की जरूरत नहीं है।”

मोदी ने कहा, “राजनीति से ऊपर राष्ट्रनीति होती है। मेरे सद्भावना मिशन की प्रेरणा भी यही राष्ट्रनीति है, राजनीति नहीं।”

मोदी ने इस अवसर पर यह भी कहा, “हम बड़े सपने नहीं देखते। सपने ही नहीं हैं तो संकल्प की सम्भवना कहां से आएगी। और जब संकल्प नहीं है तो जोड़ने की इच्छाशक्ति कहां से आएगी। हमने देश के लिए सपनों को संजोया है। इसकी जरूरत है। संकल्प के साथ अपने आपको खपाने की आवश्यकता है। इसके लिए हमने छह करोड़ गुजराती को अपना मंत्र बनाया।”

उन्होंने कहा, “छह करोड़ सपनों को जांचने परखने की कोशिश की हमने और फिर उन्हें जोड़कर एक नई दुनिया बसाने की कोशिश की। इसलिए हमने विकास की यह अवधारणा बनाई।”

उन्होंने कहा, “हर जगह आज गुजरात के विकास की चर्चा होती है लेकिन मैं गुजरात के विकास की सफलता का मूलमंत्र पूरे देश के सामने साझा करना चाहता हूं। वह है सबका साथ, सबका विकास। जनभागीदारी। हमने कोई ऐसा काम नहीं किया कि सरकार एक तरफ और जनता दूसरी तरफ। जनभागीदारी का उत्तम नमूना है गुजरात। गुजरात की तेज गति से प्रगति की मूल ताकत है यह जनभागीदारी।”

कांग्रेस और राहुल पर निशाना :-

मोदी ने उपवास के अंतिम दिन कांग्रेस के साथ-साथ उसके महासचिव राहुल गांधी पर भी निशाना साधा। उन्होंने कांग्रेस पर जहां देश के 60 साल बर्बाद करने का आरोप लगाया वहीं यह कहते हुए राहुल को निशाने पर लिया कि वह 18000 गांवों के नागरिकों को गेम चेंजर बनाना चाहते हैं।

मोदी ने अपने सम्बोधन में कहा, “देश में पिछले 60 सालों का एक क्रम रहा है। सरकारें बनती नहीं कि सरकारों और राजनेताओं के मन में शुरू हो जाता है कि अगला चुनाव कैसे जीता जाए। यही चला आ रहा है। इसीलिए वोटबैंक की राजनीति से प्रेरित अर्थरचना होती है, विकास योजनाएं बनती हैं।”

उन्होंने कहा, “इस का परिणाम यह हुआ कि देश में विकास का माहौल ही नहीं बना। यही 60 साल हमारे बर्बाद हुए। हम चुनाव जीतने के लिए सरकार नहीं चलाएंगे।”

मोदी ने कहा, “क्या कारण है कि अन्ना हजारे के आंदोलन को कश्मीर से कन्याकुमारी तक का समर्थन मिला। दरअसल, पीड़ा सबके भीतर है। बस प्रकटीकरण का अवसर नहीं मिलता। कोई आसरा नहीं मिलता। ऐसे में जब कोई आसरा दिखाई दे तो वह यह सोचकर उससे जुड़ जाता है कि उससे कुछ निकलेगा।”

उन्होंने कहा, “जनता मौका देखती है और सत्य के साथ जुड़ जाती है। मैं तो जन-जन का पुजारी हूं।”

इस अवसर पर मोदी राहुल पर निशाना साधने से भी नहीं चूके। उन्होंने कहा, “आजकल ये गेम चेंजर का प्रचलन हो गया है। मैं बताना चाहता हूं उन्हें कि मैं गुजरात के 18000 गांवों के नागरिकों को गेम चेंजर बनाना चाहता हूं।”

उल्लेखनीय है कि जन लोकपाल की मांग को लेकर अन्ना हजारे ने पिछले दिनों जब रामलीला मैदान में अनशन किया था तो उस समय राहुल ने संसद में चली बहस में हिस्सा लेते हुए कहा था कि लोकायुक्त को चुनाव आयोग जैसे संवैधानिक अधिकार होने चाहिए। बाद में खुद राहुल और मीडिया के एक वर्ग ने उनके इस विचार को गेम चेंजर करार दिया था।

मोदी आगे, सब पीछे-पीछे:-

लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के अध्यक्ष राज ठाकरे गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के सद्भावना मिशन को समर्थन देने सोमवार को उपवास स्थल पर पहुंचे। मोदी इस मिशन के तहत तीन दिनों से उपवास पर बैठे थे।

इस अवसर पर मोदी की तारीफ में कसीदे गढ़ते हुए सुषमा ने खुले मंच से कहा कि नरेंद्र भाई आप राजपथ पर बढ़ते चलो, हम आपके साथ हैं। वहीं दूसरी ओर राज ठाकरे ने कहा कि मोदी एक अच्छे प्रधानमंत्री साबित हो सकते हैं और इस परिस्थिति में उनकी पार्टी मोदी का समर्थन करेगी।

मोदी के उपवास के आखिरी दिन सुषमा ने वहां जुटी भीड़ को सम्बोधित करते हुए कहा, “नरेंद्र भाई उपवास तो आज कर रहे हैं लेकिन वह पिछले 10 सालों से गुजरात में सद्भावना से राज कर रहे हैं।”

उन्होंने कहा, “पिछले 10 वर्षो के दौरान नरेंद्र भाई ने बहुत संघर्ष किया है। वह संघर्षो से अपने लिए रास्ता बनाते आए हैं। वह आगे भी ऐसे ही रास्ता बनाते आएंगे, हमें उम्मीद है। इस आत्मबल को बनाए हुए और सद्भावना के भाव को बरकरार रखते हुए नरेंद्र भाई आप राजपथ पर बढ़ते चलो, हम आपके साथ है।”

सुषमा ने कहा, “अब तो हमारे घोर विरोधी भी मोदी की तारीफ करते हैं। हाल ही में हुई राष्ट्रीय एकता परिषद की बैठक में पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की नेता महबूबा मुफ्ती ने मोदी की जमकर तारीफ की थी।”

उन्होंने कहा, “गुजरात एक ऐसा प्रदेश है जहां किसी के साथ भेदभाव नहीं होता। यहां कोई परियोजना यह देखकर नहीं बनती कि इसका लाभ हिन्दुओं को मिले और मुसलमानों के लिए। यह सोचकर कोई सड़क नहीं बनती कि यह मुसलमानों या हिन्दुओं के घरों से होकर गुजरेगी।”

सुषमा ने कहा, “नरेंद्र भाई हर योजना शत प्रतिशत लोगों के लिए चलाते हैं। इसका लाभ हर व्यक्ति को मिलता है। उनकी निगाह में हर नागरिक गुजराती है, वह भारतीय है।”

मोदी के सद्भावना मिशन को समर्थन देने पहुंचे राज ठाकरे ने पत्रकारों से बातचीत में कहा, “मैं अपनी शुभकामनाएं देने के लिए यहां आया हूं। गुलबर्ग सोसायटी मामले में सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के बाद भी मैंने फोन करके उन्हें बधाई दी थी। सर्वोच्च न्यायालय से प्रमाण पत्र मिलने के बाद उन्हें किसी और के प्रमाण पत्र की आवश्यकता नहीं है।”

मोदी को प्रधानमंत्री के रूप में देखने से जुड़े एक सवाल पर उन्होंने कहा, “मोदी एक अच्छे प्रधानमंत्री साबित हो सकते हैं। हम उनका समर्थन करेंगे। वास्तव में देश की जनता के लिए कड़ी मेहनत करने वाला कोई भी प्रधानमंत्री बन सकता है।”

मोदी के इस उपवास के साथ कई विवाद भी जुड़ गए हैं। मोदी के उपवास पर राजग के सहयोगी जद यू और शिवसेना ने तीखा कटाक्ष किया है।

बिहार के सुशासन बाबू नीतीश कुमार ने भी मोदी के उपवास पर टिप्पणी करते हुए कहा कि उनका उपवास नहीं, सेमीनार है।

शिवसेना सुप्रीमो बाल ठाकरे के मुताबिक, इस उपवास में मोदी आगे-आगे और उनकी पार्टी पीछे-पीछे दिख रही है। हालांकि इससे पहले शिवसेना के प्रतिनिधि और बाल ठाकरे के दूत के रूप में मोदी के मंच पर आए अनंत गीते ने गुजरात को महाराष्ट्र से आगे लाने के लिए मोदी की तारीफ की थी। गीते ने यहां तक कह डाला था कि पूरे देश को मोदी की क्षमताओं का फायदा मिलना चाहिए और हम उन्हें प्रधानमंत्री के रूप में देखना चाहते हैं।

उधर, खेड़ा गांव के एक इमाम ने मोदी पर बेइज्‍जती करने का आरोप लगाया है। इमाम के मुताबिक, मोदी ने उनके हाथों टोपी नहीं पहनकर उनका अपमान किया है। दरअसल यह घटना रविवार की है। मौलाना सैयद इमाम शाही मोदी के सद्भावना मिशन को समर्थन देने आए थे। इसी दौरान भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के एक मुस्लिम कार्यकर्ता के साथ मोदी के उपवास के प्रति अपना सद्भाव प्रकट करने वह मंच पर पहुंचे। मंच पर मोदी से थोड़ी देर बातचीत के बाद उन्होंने अपनी दाईं जेब से टोपी निकाला लेकिन टोपी देखते ही मोदी ने हाथ जोड़कर उसे पहनने से इंकार कर दिया। इसके बदले मोदी ने उनसे चादर ओढ़ाने का आग्रह किया। इमाम ने उन्हें अंतत: चादर ओढ़ाया।

इस पूरे घटनाक्रम को टेलीविजन चैनलों ने अपने कैमरों में कैद कर लिया था। रविवार को हुई इस घटना को जब टेलीविजन चैनलों में परोसना शुरू कर दिया तो इसे लेकर विवाद पैदा हो गया।

यह कहा जाने लगा कि मोदी ने उसी मंच पर दो दर्जन से अधिक पगड़ियां पहनीं और साफे बांधे लेकिन उन्होंने इमाम की टोपी पहनने से क्यों इंकार कर दिया। यह उनके सद्भावना मिशन पर सवाल उठाता है।

इमाम ने बाद में पत्रकारों से बातचीत में कहा, “टोपी एक सूफी संत की ओर से उपहार था और मुख्यमंत्री यदि इसे स्वीकार करने से इंकार करते हैं तो वह मुसलमानों को कैसे स्वीकार करेंगे।”

मुस्लिम संगठन जमात-ए-इस्लाम-ए-हिंद के पूर्व अध्यक्ष शाफी मदनी ने कहा कि इस कार्यक्रम के लिए फर्जी मुसलमान को तैयार किया गया था।

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