रायपुर ।। केंद्रीय गृह मंत्री पी. चिदम्बरम ने मंगलवार को नक्सलियों को ‘संरक्षण राशि’ देने के लिए कारपोरेट जगत की निंदा की और कहा कि वे ऐसा इसलिए कर रहे हैं, ताकि वे खनिज सम्पदा वाले छत्तीसगढ़ जैसे राज्य में अपनी गतिविधियां चला सकें।

छत्तीसगढ़ की नक्सल निरोधी रणनीति की उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक की अध्यक्षता करने के बाद चिदम्बरम ने टिप्पणी की, “पिछड़े इलाकों के हालात को देखते हुए छोटे ठेकेदार या व्यापारी द्वारा ‘संरक्षण राशि’ दिया जाना तो समझ में आता है लेकिन बड़े कारपोरेट घरानों द्वारा ऐसा किया जाना अत्यंत निंदनीय है।”

उन्होंने यह टिप्पणी तब की जब संवाददाताओं ने दंतेवाड़ा जिले में नक्सलियों को एस्सार स्टील कम्पनी द्वारा कथित तौर पर धन दिए जाने और इस सिलसिले में कुछ लोगों की गिरफ्तारी पर उनके विचार जानना चाहा।

चिदम्बरम ने कहा कि छत्तीसगढ़ में नक्सली गतिविधियों में कमी आई है लेकिन राज्य सरकार को चेताया कि वह इससे आत्मसंतुष्ट न हो क्योंकि अभी भी देश की एक चौथाई नक्सली घटनाएं इसी राज्य में होती हैं। 

उन्होंने कहा, “छत्तीसगढ़ नक्सली हिंसा से बुरी तरह प्रभावित दो राज्यों में आता है। राज्य में नक्सली घटनाओं, नागरिकों एवं सुरक्षाकर्मियों के हताहत होने की संख्या एवं नक्सली गतिविधियों में कमी आई है।”

राज्य सचिवालय में आयोजित बैठक में राज्य के मुख्यमंत्री रमन सिंह, गृह विभाग एवं पुलिस मुख्यालय के उच्च अधिकारियों समेत केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के प्रमुख विजय कुमार भी उपस्थित थे। इसमें नक्सली हिंसा से निपटने के लिए रणनीति की व्यापक समीक्षा हुई।

आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि बैठक में चिदम्बरम ने नक्सली इलाकों खासतौर पर बस्तर क्षेत्र में विकास कार्य को बढ़ावा दिए जाने पर विस्तृत रूप से चर्चा की।

गृह मंत्री ने छत्तीसगढ़ एवं महाराष्ट्र सीमाओं पर संयुक्त जांच अभियान बढ़ाने पर भी चर्चा की।

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