रायपुर ।। नक्सल प्रभावित जंगली इलाकों में यदि नक्सलियों को मात देनी है तो उन क्षेत्रों में विशेष तौर पर सड़कों का जाल बिछाना होगा जहां सुरक्षा बल नक्सलियों से लोहा ले रहे हैं और इसके जरिये प्रशासन उन क्षेत्रों में कानून व्यवस्था कायम कर सकेगा जहां नक्सलियों का कब्जा है। एक अवकाशप्राप्त सैन्य अधिकारी का ऐसा कहना है।

पूर्व सैन्य अधिकारी बी.के.पोनवार ने आईएएनएस से कहा, “जंगलों में नक्सल निरोधी अभियान में शामिल सुरक्षाबलों के लिए खास तौर पर सड़कों का जाल बिछाया जाना चाहिए। ऐसा करके ही नक्सलियों के गढ़ माने जाने वाले जंगलों में नक्सल निरोधी अड्डे बनाए जा सकते हैं और उनकी गतिविधियों पर लगाम लगाया जा सकता है।”

पोनवार मिजोरम के वैरेनगेट में स्थित सेना के आतंकवाद निरोधी और जंगल युद्धक्षेत्र स्कूल के प्रमुख रह चुके हैं।

पोनवार कहते हैं, “नक्सल प्रभावित इलाकों में जिन सड़कों का उपयोग नागरिकों और पुलिस द्वारा किया जाता है, उनमें से अधिकांश सड़कों पर नक्सलियों ने इप्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइसेज (आईईडी) और बारूदी सुरंगें बिछा रखी हैं।”

पोनवार ने कहा कि नक्सल प्रभावित जंगली इलाकों में सुरक्षाबलों के लिए नई सड़कों का निर्माण किया जाना और इनकी खुफिया तरीके से निगरानी होना बहुत जरूरी है।

पोनवार वर्तमान में छत्तीसगढ़ आतंकवाद निरोधी और जंगली युद्धक्षेत्र कॉलेज (सीटीजेडब्ल्यूसी) के निदेशक हैं। छत्तीसगढ़ इस समय देश में नक्सलवाद से सबसे अधिक प्रभावित है।

पोनवार का कहना है कि नक्सल प्रभावित इलाकों में सुरक्षाबलों के लिए सड़कों का निर्माण किया जाना बेहद जरूरी है ताकि उन इलाकों को नक्सलियों से मुक्त कराया जा सके। वह कहते हैं, “नक्सलियों के गढ़ में घुसने का यही सबसे बढ़िया तरीका है।”

पोनवार ने कहा कि सुरक्षाबलों की रक्षा और आम नागरिकों के जानमाल की सुरक्षा ही सबसे महत्वपूर्ण काम है। वह कहते हैं, “कई मामलों में तो लोगों के निजी वाहन को इसलिए निशाना बनाया गया क्योंकि नक्सलियों को डर था कि या तो ये पुलिस वाहन हैं या फिर इनमें पुलिसकर्मी सवार होंगे।”

पोनवार ने कहा, “जंगलों में शानदार सड़कें बनने के बाद सुरक्षाबलों को युद्ध प्रभावित इलाकों में तेजी से दाखिल होने और जोरदार हमला करने में आसानी होगी। इसके अलावा इन इलाकों में कम समय में रसद सामग्री पहुंचाने में भी मदद मिलेगी।”

पोनवार ने स्वीकार किया कि नक्सली अपने पुराने इलाकों को सुरक्षित रखते हुए तेजी से अपने क्षेत्र का विस्तार करते जा रहे हैं।

उन्होंने कहा कि नक्सलियों ने छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र के अबूझमाड के जंगलों में 6,000 से 8,000 वर्ग किलोमीटर तक अपने क्षेत्र का विस्तार कर चुके हैं। इन इलाकों को अपने कब्जे में लेकर आम लोगों के मन में भरोसा पैदा करने की जरूरत है।

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