नई दिल्ली ।। नेपाल में जारी राजनीतिक अस्थिरता के बीच प्रधानमंत्री बाबूराम भट्टराई की चार दिवसीय भारत यात्रा के दौरान समग्र शांति प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए आम सहमति और नए संविधान पर नई दिल्ली जोर दे सकता है। भट्टराई का भारत दौरा गुरुवार से शुरू हो रहा है।

महत्वपूर्ण बात यह है कि भट्टराई प्रधानमंत्री बनने के बाद यहां पहले द्विपक्षीय दौरे और भारत के अपने पहले आधिकारिक दौरे पर आ रहे हैं। भट्टराई को प्रधानमंत्री बने अभी पूरे दो महीने भी नहीं हुए हैं।

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भट्टराई के साथ शुक्रवार को व्यापक मुद्दों पर बातचीत करेंगे, जिसमें आर्थिक एवं ऊर्जा सम्बंधों से लेकर सुरक्षा सहयोग एवं अधोसंरचना परियोजना सम्बंधी मुद्दे शामिल होंगे।

भट्टराई हाल के राजनीतिक घटनाक्रमों से नई दिल्ली को अवगत करा सकते हैं और अपने देश में शांति प्रक्रिया को पुनर्जीवित करने के लिए समर्थन मांग सकते हैं। राजनीतिक असहमतियों के कारण शांति प्रक्रिया लगातार अवरुद्ध बनी हुई है।

नेपाल को ऐसा लगता है कि भारत, नेपाल के राजनीतिक दलों और संगठनों के साथ अपने सम्बंधों का इस्तेमाल कर शांति प्रक्रिया को बढ़ावा दे सकता है। माओवादी कार्यकर्ताओं के एकीकरण और पुनर्वास के मुद्दे पर माओवादियों और नेपाली कांग्रेस के बीच लगातार मतभेद बना हुआ है। चूंकि आरोप-प्रत्यारोप का दौर समाप्त होने का संकेत नहीं दिखाई देता, लिहाजा नया संविधान तैयार करने की समयसीमा फिर 30 नवम्बर की बढ़ाने की नौबत आ गई है।

उच्च पदस्थ सूत्रों ने कहा है कि विद्युत संकट सुलझाने और अधोसंरचना निर्माण के लिए दोनों देशों के बीच समझौते हो सकते हैं, लेकिन लम्बे समय से लम्बित प्रत्यपर्ण संधि जैसे दीर्घकालिक परिणाम वाले किसी भी समझौते पर हस्ताक्षर नहीं होगा।

सूत्रों ने कहा है कि बातचीत के दौरान व्यापार, निवेश और विकास सम्बंधी सहयोग बढ़ाने पर चर्चा हो सकती है। 25 करोड़ डॉलर की ऋण सहायता उपलब्ध कराने के एक समझौते को भी मंजूरी दी जा सकती है।

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